जय जग वंदन जय शिव नंदन,
जय जय हो भवानी के नंदन।
तुम बिन न होय कोई कार्य पूरन,
अबकी बार करो कोरोना का निवारण।।
आप है अष्ट सिद्धि के दाता,
तुम ही हो नव निधि के दाता।
तुम ही सबके क्लेश निवारण,
करो तुम मेरे क्लेश निवारण।।
मूषक है तुम्हारा अपना वाहन,
मोदक प्रिय कहलाते गजानन।
जब जब भीर पड़ी भक्तो पर,
सबके हरते हो देके तुम दर्शन।।
तुम ही हो सब विघ्न निवारक,
अष्ट सिद्धि नव निधि दायक।
करता हूं कोटि कोटि प्रणाम,
तुमको प्रसन्न करना आसान।।
अनेकों नामो से पुकारे जाते,
सबके कार्य तुम ही कर पाते।
मेरे कार्य भी निर्विघन कराओ,
अपनी शरण में मुझे बुलाओ।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम