अब तो जागो

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sanjeev shukl
मेधा का सम्मान बचाने,
रण करने को वीरों।
कर जोड़ के करूँ मैं वीनती,
उठो चलो रणधीरो।।
आरक्षण है श्राप देश का,
इससे इसे उबारे।
मेधा को सम्मान दिलाकर,
फिर से राष्ट्र सवारें।।
आरक्षण की बलि वेदी पर,
मेधा मिट ना जाये।
राष्ट्र अस्मिता है खतरे में
इसको पार लगायें।।
आरक्षण नहीं विषवेल है,
इसको जड़ से काटो।
भेव भाव व जातीप्रथा को
समय आ गया पाटो।।
आरक्षण नहीं है सुनामी,
यह विनाश ला देगा।
एक दिन यह तो मेधावी का,
मान हरण कर लेगा।।
अभी समय रहते सम्हलो,
वर्ना कुछ न बचेगा।
हनुमत सा जो बन ना पाये,
सुरसा से न बचेगा।।
#पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
परिचय-
नाम – संजीव शुक्ल
साहित्यिक उपनाम – “सचिन”
जन्म स्थान – लौरिया (पश्चिमी चम्पारण) बिहार
वर्तमान पता – दिल्ली 
स्थाई पता – ग्राम + पोस्ट – मुसहरवा (मंशानगर) वाया- नरकटियागंज, जिला – पश्चिमी चम्पारण, बिहार – ८४५४५५
शैक्षिणिक योग्यता – स्नातकोत्तर (संस्कृत)
सं.सं.वि.विद्यालय वाराणसी
कार्यक्षेत्र – प्राइवेट सेक्टर में कार्यरत (दिल्ली)
सामाजिक गतिविधि – किसी भी प्रकार की सामाजिक कुप्रथा जैसे – दहेज, भ्रूणहत्या, बालश्रम, आरक्षण, घुसखोरी आदी कुप्रथाओं का कट्टर विरोधी… समाज सेवा मेरे जीवन का प्रथम एवं एकमेव लक्ष्य…. सफलता प्रदान करना परमपिता परमेश्वर के हाथ।
कोई प्रकाशन – कुसुमलता साहित्य संग्रह
रचना प्रकाश – विलुप्त गौरैय्या (अमर उजाला)
प्राप्त सम्मान – साहित्यपिडीया से प्रशस्तिपत्र
ख़्याल समूह से सर्वश्रेष्ठ रचना के परिपेक्ष्य में प्रशस्तिपत्र
लेखनी का उद्देश्य – मन के भावों को जनमानस तक पहुंचाना… सामाजिक कुरीतियों को इंगित कर रचना के माध्यम से जनमानस तक पहुंचाना
भाषा ज्ञान – हिन्दी एवं भोजपुरी
रुचियाँ – लिखना, फिल्में देखना, पुराने गाने सुनना , क्रिकेट मैच देखना व सुनना

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।