जांगर

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विपत्तियों के दौर में
उजाले भी चुपके से
पंहुच जाते हैं
अंधेरों के पाले में
छोड़ देते हैं साथ सब
न साथ रहता हाथ अपना
आपदा की आंधियां भी हौले -हौले
ले बवन्डर साथ – साथ
गह बहियाँ बाधाओं संग
झंझावात के आगोश में
जलजले ओ जलालत भी
लगाते हैं झरी मुसीबतों की
ढाते हैं कहर लेकिन
न होता है बाल बांका
आसमां को छूती लहरें
न डुबो पाती हैं जीवट को
विपत्तियों के प्रबल लहरें
क्या डुबोयेंगी उस किस्ती को
जिस किस्ती की पतवारें
मजबूती से गिरफ्त हैं
सबल बाजुओं के पंजों में
जब जांगर की जंग दृष्टि
थाम कर वल्गा
अपनी मजबूत बाहों में
मोड़ कर तुरंग तूफां
बांधकर सेहरा कफन का
संजोकर अदम्य साहस
करता है किलोल
क्रोड़ में प्रलय की
विन्ध्य सा अचल गिरि को
न डिगा पाता पवन कोई
न हिला पाती है शैलावें
हो गहरी जड़ें जिसकी
जिसका अन्त ही अडिग हो
क्या करेगी नदी कोई
जो सूरज को जगाता हो
सुलाता हो रातों को
दिवा के सपने सजाता हो
न आंखें जिसकी कभी सोई
बिछेंगे फूल राहों में
न रोक सकेगा कदम कोई
मेट कर भाल कुअंक
विधि विधान अभिलेख के
वही लिखेगा धवल अंक
अमिट श्रम जल की बूंदों से
जांगर दृष्टि हो मंजिल पर
हर कदम मंजिल होगा
मंजिल ही हम सफर होगी

नाम-सुभाषचंद्र चौरसिया ‘बाबू’
पिता श्री का नाम-स्वर्गीय श्री खज्जू चौरसिया
मात श्री का नाम-स्वर्गीय श्रीमती बिट्टी देवी चौरसिया
प्रेरणास्रोत जीवन संगिनी का नाम-स्वर्गीय श्री मती हेमवती चौरसिया
जन्म स्थान–जनपद महोबा उत्तर प्रदेश
(वीर भूमि ऐतिहासिक एवं महोत्सव नगर)
जन्म तिथि– 12-08-1948
शिक्षा—–स्नातक विज्ञान वर्ग
पारिवारिक पृष्ठभूमि—मध्यमवर्गीय किसान
व्यवसाय –पान उत्पादन, परम्परा गत कृषि कार्य
रुचि—साहित्यिक रुचि, कविता- कहानी लेखन , गुप्त दान, सर्वधर्म भोजन सेवा में आर्थिक मानसिक सहयोग, किसान सेवा
प्रकाशन—– समय – समय पर समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित,
उपलब्धियां— प्रदेश संगठन मन्त्री, चौरसिया महा सभा उत्तर प्रदेश
मण्डल सचिव —, भारतीय किसान यूनियन टिकैत
चित्रकूट धाम मण्डल बांदा
पूर्व जिला महा मन्त्री उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रति निधि मण्डल जिला महोबा
पूर्व जिला अध्यक्ष बुन्देलखण्ड मुक्ति मोरचा जिला महोबा
उद्देश्य——-असहाय लाचार की सेवा, किसान सेवा
मेरे प्रेरणा स्रोत, मेरे हम सफर स्वर्गीय श्री मती हेमवती चौरसिया की यादगार को अक्षुण्ण बनाने के लिए रचित रचनाओं का प्रकाशन कर समर्पण,
इसी क्रम में उनकी प्रथम पुण्यतिथि दिनांक 08-01-2019 को उनकी समाधि स्थल पर पर्यावरण संरक्षण के निमित्त वन- धन- जन अभियान का शुभारंभ किया गया था जिसमें समय- समय पर वृक्षारोपण कर पर्यावरण के प्रति जन जागरण किया जा रहा है और यह अभियान भविष्य में लगातार जारी रहेगा।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।