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कान्हा धरती पर जब आया
घनघोर उमड़ते बादल लाया
यमुना पैर छूने को बढ़ी थी
कैसी सुख की वह घड़ी थी
कारावास के बंधन सब टूटे
प्रहरियों की भी नींद न टूटे
रातोंरात गोकुल में पधारे
नन्द के घर किलकारी मारे
लल्ला जन्मा जन पुकारे
खुशी से उछल गए सारे
नटखट अदाओ से खूब रिझाया
गोपियों संग रास रचाया।
#श्रीगोपाल नारसन
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