अश्विनी कुमार `सुकरात`
================================
-शिक्षा को अंग्रेजी माध्यम के बोझ से मुक्त करने एवं परिवेश की भाषाओं में केजी से पीजी-पीएच़डी तक समान-सार्थक औपचारिक शिक्षा व्यवस्था,कानून-न्याय व्यवस्था और रोजगार व्यवस्था हो,इसलिए संविधान के अनुच्छेद 348, 343(1) & (2),351,147, 21A में व्यापक संशोधन अपरिहार्य है। इस मांग को लेकर 14 मई रविवार को जंतर-मंतर(दिल्ली) में धरना दिया जा रहा है। इस धरने के जरिए मानसिक गुलामी को बनाए रखने वाले तंत्र के रूप में अंग्रेजी माध्यम की अनिवार्य `इंग्लिश मीडियम सिस्टम` से देश को मुक्त करने की मांग की जाएगी।राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री(दिल्ली सरकार) के कार्यालय सहित पुलिस अधीक्षक (डीसीपी) के कार्यालय को खुला पत्र-ज्ञापन के रूप में इस विषय पर अवगत कराया जाएगाl इस ज्ञापन में उल्लेखित किया गया है कि,राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मानव संसाधन विकास मंत्रालय समेत समेत समस्त कैबिनेट एवं राज्यमंत्री,याचिका समिति राज्यसभा-लोकसभा याचिका समिति,नेता प्रतिपक्ष,समस्त माननीय सासंदों को इस विषय पर भाषाई और शिक्षाई व्यवस्था में परिवर्तन की मांग को लेकर अनेक बार पत्र लिख चुके हैं। साथ ही इस विषय पर लिखी पुस्तक ‘इंग्लिश मीडियम सिस्टम दैट इज अंग्रेजी राज’ भी भेजा है। इसमें शोध के आधार पर प्रमाणित किया गया है कि,इंग्लिश मीडियम अदालतों,उच्च शिक्षा व्यवस्था की वजह से गली-गली में मानसिक रूप से पंगु बना देने वाले स्कूल खुल रहे हैं,पर न तो राष्ट्रपति, न ही प्रधानमंत्री और न ही किसी कैबिनेट मंत्री ने इस संदर्भ में चर्चा करने,बिल प्रस्तुत करने का आश्वाशन दिया है। माननीय सांसदों ने भी किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया या रूचि इस विषय पर नहीं दिखाई है। अतः अब,आपके संज्ञान में लाने के लिए (कि ‘अंग्रेजी माध्यम सिस्टम’ सर्वोच्च आदालतों,उच्च आदालतों,सरकारी एवं विधायिका तंत्र की वजह से हमारी आने वाली नस्लें स्थाई तौर पर मानसिक रूप से गुलाम बन जाएगीl)हम 14 मई 2017 को धरना स्थल,जंतर-मंतर पर धरना देने जा रहे हैं।
(आभार-वैश्विक हिन्दी सम्मेलन)