आज का भारत

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जहाँ कभी पुष्प वाटिका हुआ करती थी,
वहाँ आज लाशों का अंबार लगा हुआ है ,

जो जमीन कभी सोने की चिड़िया होती थी ,
वहाँ आज लाशों का विछावन बिछा है ,

जो कभी विश्व का भाग्य विधाता हुआ करता था ,
वो आज भिखारी बना घुमाता है ,

जहाँ कभी मंदिरो मे मेले लगते थे ,
आज वहाँ शमशानों पर मेले लगते है ,

जहाँ कभी सभी धर्मो का सम्मान हुआ करता था ,
आज वहाँ धार्मिक कट्टरता हुआ करती है ,

जो कभी साधु- संतों की नगरी हुआ करती थी ,
आज वहाँ आज बाजार बना बैठा है ,

जहाँ कभी ईमानदारी की आवाजें गूँजती थी ,
आज वहाँ बेईमानों का अड्डा हुआ करता है ,

जहाँ के ज्ञान व विज्ञान की कभी विश्व पूजा करता था ,
आज वहा अज्ञानता का पर्याय बना बैठा है ,

जहाँ कभी दानी ज्ञानी महाराजाओं का राज हुआ करता था ,
आज वहाँ अनपढ़ बेईमानों का राज हुआ करता है ,

जहाँ कभी शिक्षित – विद्वान ही गुरु हुआ करते थे ,
आज वहाँ चोरी के नम्बरों पर शिक्षक ज्ञानदाता बन बैठे है ,

जहाँ कभी सत्य और अहिंसा की पूजा होती थी ,
आज वहाँ असत्य और हिंसा का बोलबाला हुआ करता है ,

जहाँ कभी राम, रहीम, बुद्ध, गाँधी आजाद का आदर होता था ,
वहाँ आज हिंसावादी नेताओं, आतंकवादियों की पूजा होती है ,

जहाँ की मिट्टी मे सिर्फ शांति का वास था ,
वहाँ की अब मिट्टी में खून, अशांति का घर है ,

जहाँ कभी स्त्रियों को देवी का रुप माना जता था ,
वहाँ अब स्त्रियों पर अत्यचार, हिंसा हुआ करता है ,

जहाँ सुकून भरी ठंडी हवाएँ गुजरती थीं खूबसूरत वादियों से,
आज वहाँ साँस लेना दुष्कर है,

जहाँ कभी सूरज की पहली रोशनी से सवेरा होता था ,
वहाँ आज सूरज की अंतिम रोशनी से सवेरा होता है ,

जहाँ कभी नेताओं के सिर पर खादी की टोपी होती थी ,
वहाँ आज नेताओं के सिर पर भ्रष्टाचार की टोपी है ,

जहाँ पर कभी नदियाँ माँ सम मानी जाती थीं ,
आज उनमें लाशों की नावें चल रही है ,

भारत जो कभी विश्व मे ज्ञान का सागर कहा जाता था ,
वही भारत आज अज्ञानी कहा जाता है ,

जहाँ कभी यमुना, गंगा , सरस्वती की आरती होती थी ,
आज वहाँ लाशों की आहुतियां होती है ,

जिस भारत को कभी जगत का बगीचा कहा जाता था ,
आज वहाँ ऑक्सिजन की कमी हो गई है ,
ऐसा क्यों ?

यह जो आज का भारत है, ऐसा क्यों है?
जाग्रत हो हे भारतवासी……!

  • रुपेश कुमार
    चैनपुर , सीवान , बिहार

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।