घर में अपने आप को बंद किये हुए है |
बिन ताले के अपने को बंद किये हुए है ||
लगता नहीं दिल अब अपने घर में |
मन में अनेको प्रश्न द्व्न्द किये हुए है ||
खालीपन में कविता बाजी करते रहते |
जो रस अलंकार छंद लिए हुए है ||
नर्स डॉक्टर जो घर से बनवास हुए है |
फल फूल और कंद पर उपवास हुए है ||
जो राजनीति में सक्रिय हुए है |
वे कितने घोटालो में बंद हुए है ||
जो नेता करते थे खाली बयानबाजी |
अब उनके क्यों मुँह बंद हुए है ||
कब खुलेगा ये लॉक डाउन भैया ?
ये सबके मन में प्रश्न उठे हए है ||
पड़ रहे है रोजी रोटी के लाले |
क्योकि सारे उद्योग बंद हुए है ||
भेज रहा है चायना रद्दी माल |
अब उसके सब व्यापार हुए है ||
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम