पिता परिवार की प्राणवायु है
पिता परिवार के प्रत्येक सदस्य की आयु है
पिता से मिले परिवार को शक्ति -संबल है
पिता बड़े-बड़े संकटों में बनते ढाल है
पिता का प्रेम सदा अदृश्य ही रहता है
पिता हंसते-हंसते कड़वा जहर पीता है
पिता बहाकर निज खून-पसीना
पिता लाता है परिवार कि लिए दो जून का खाना
पिता का साथ पाकर संतान बने योद्धा महान
पिता के चरणों में ही है सारा जहान
पिता से ही गृहस्थी की बिंदी चमके
पिता से ही माँ का माथा दमके
पिता से ही माँ की चूडियाँ खनकें
पिता से ही बच्चों की किलकारियां गूँजें
पिता से बड़ा नहीं कोई भगवान
पिता परिवार की अमिट पहचान
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl