जिन्दा हैं
तेरी बूंदों का
अक्स पीते-पीते,
वरना जान तो
कब की जा चुकी।
निगाह तेरी,
करम तेरे
शब्द तेरे
धरम तेरे
किसी चीज की
कमी कहां।
नमी तेरी,
चितवन की
नमी तेरे,
सुर्खरू होंठों की..
नमी तेरे
गुलाबी गालों की
काली जुल्फों
कजरारे काले नैना की।
ये सब शब्दों से आगे का
कहन है,
बात गहन है
यथार्थ का शिल्प है..
उसका गठन है
मेरी आँखों का
खुला पठन है।
तू भी कभी आ,
मेरी आँखों की
इबारत पढ़ जा..
कुछ तो दिखेगा
नया, उसे देख..
नई इबारत
गढ़ जा।
#अरुण कुमार जैन
परिचय: सरकारी अधिकारी भी अच्छे रचनाकार होते हैं,यह बात
अरुण कुमार जैन के लिए सही है।इंदौर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में लम्बे समय से कार्यरत श्री जैन कई कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर चुके हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सहायक आयुक्त श्री जैन का निवास इंदौर में ही है।