जनता कर्फ्यू से क्या-क्या लाभ होने की संभावना है?

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सर्वप्रथम लाभ तो कोरोना के कारण पूरे का पूरा भारत प्रधानमंत्री मोदीमय हो गया है।जिसके अंतर्गत प्रत्येक भारतीय भारत माता की जय की उद्धोषणा करते हुए जनताकर्फ्यू का पालन कर रहा है।इसके अलावा समस्त राष्ट्रवासी राष्ट्रहित में घर में जनताकर्फ्यू के रूप में या सीमा पर प्रहरी के रूप में या प्रशासनिक सेवाओं सहित स्वास्थ्य सेवाओं के रूप में योगदान कर रहे हैं।
लाभ के स्वरूपों में यह भी देखा गया है कि कर्फ्यू से अधिक जनताकर्फ्यू असरदार प्रमाणित हुआ है।लाभ के रूप में संभावना है कि सरकारें अगामी प्रत्येक चयन प्रक्रियाओं में योग्यता को प्राथमिकता दी जाएगी।चूंकि

प्रधानमंत्री जी ने यदि जनताकर्फ्यू की भांति भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाया होता,तो आज की उत्पन्न विकट परिस्तिथियों को योग्य विज्ञानिक ‘कोरोना’ तो क्या उसके बाप का भी उपचार करने में सक्षम होते।यह भी माना जा रहा है कि ‘कोरोना’ काम क्रोध लोभ मोह और अंहकार से परे है।दूसरे शब्दों में कहें तो वह ऊपरोक्त पांच भूतों के वशीकरण के झासे में नहीं आता।जिसके चलते विज्ञान धरा का धरा रह गया और विज्ञानिक धराशाई हो चुके हैं।चूंकि जैसे कृत्रिम पुष्पों से सुगंध नहीं आती, उसी प्रकार धन के बल पर खरीदी हुई उपाधियां भी चुनौतियों का विकल्प नहीं होती।इसलिए सावधानियां आवश्यक हैं,ताकि भ्रष्टाचार के बल पर प्रत्येक ठुकराया हुआ वह मानव ‘कोरोना’ का रूप धारण कर सरकारों के गले ना पड़े।जैसे गले लगाने के लिए ‘कोरोना’ विश्वभर में ललकारता एवं चिंघाड़ता भ्रमण कर रहा है।जिसके भय के कारण सरकारें अपने नागरिकों को एकांतवास करने अर्थात घरों में दुबके रहने के लिए हाथ जोड़ने पर विवश हो रही हैं।परंतु चिंता का विषय यह है कि इसके बावजूद हमारी सशक्त सरकारें अपने कुशल विज्ञानिकों को ‘कोरोना’ के उपचार का त्वरित समाधान ढूंढने का आदेश जारी करने में विफल हैं।जय हिंद

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कोरोना रुला रहा है, हम सब को। सभंल जाओ लोगो अब तो, छोड़ो मिल मिलाप को। दूरियां बनाओ तुम सबसे, तभी सुरक्षित रह पाओगे।। नियम साधना का करो, पालन अब तुम सब। तो बच जाओगे, इस कोरोना से तुम। अमल कर लो बाते, सभी अपने दिल से। निश्चित जीत जाओगे, […]

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।