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तेरी याद हर पल रुलाती है माँ ।
मुझे तूँ बहुत याद आती है माँ ।
बहुत ही मैं बेचैन रहता हूँ तब तो ,
कहीं दूर मुझसे जो जाती है माँ ।
सुबह साथ में चाय की प्यालियों के ,
सदा प्रेम दर्शन कराती है माँ ।
दुआ तेरी हम पर रहे जिंदगी भर ,
यही बात बस मन को भाती है माँ ।
जमाने में अमृत सा पावन जो होता ।
वही दूध अपना पिलाती है माँ ।
करे लाख कोशिस कोई भी भले पर ।
भुलाये कभी न भुलाती है माँ ।
वो दिन रात कर देती है एक अपने ।
सदा जिंदगी को सजाती है माँ।
प्रशान्त कुमार दीक्षित
देवरिया उत्तर प्रदेश
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