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कसक दिल की दिल में छुपाए- छुपाए।
ये भी नहीं याद कि कब मुस्कराए।।
हम जब फना हो गए उनकी खातिर।
आए भी तो देर से बहुत आए।।
था मौजूद पानी तो तुमने न मानी।
रेत में कोई कश्ती अब कैसे चलाए।।
अंधेरों से सीखा सबक जिन्दगी का।
रोशनी में ही दिखते हैं खुद के साए।।
#अमित शुक्ला
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