‘डेंगू’ से डरें नहीं

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nishant gupta
इस बार डेंगू ने कमर तोड़ दी है, अगर जाँच कराने पर डेंगू बुखार की पुष्टि हो जाए और प्लेटलेट ४० हज़ार पर भी तो आ जाएं तो घबराइए मत। बस इस सलाह पर अमल करें।
इस बार डेंगू का कहर है,डेंगू कैसे होता है,आदि-आदि..यह तो सबको पता है,बेहतर होगा कि मैं इस पर जागरुकता लाऊं।
डेंगू बुखार आयुर्वेद अनुसार ‘दंडक ज्वर’ होता है पर एलोपैथिक चिकित्सा में डेंगू बुखार से पीड़ित होने पर पेरासिटामोल से ज्वर की तीव्रता कम करने के सिवाय कुछ भी नहीं है। कुछ धनलोलुप चिकित्सक मरीज को डराकर ग्लूकोज व अन्य दवाएं आदि लगाने के नाम पर भर्ती करके पैसा जरुर ऐंठते हैं,पर आप सावधान हो जाएँ। प्लेटलेट काउंट ३०००० से कम होने पर भर्ती होकर ही इलाज कराने की जरूरत होती है।
मैं यह बिल्कुल नहीं कहूंगा कि, आप चिकित्सक को न दिखाएँ,पर देखा जाए तो डेंगू महामारी में चिकित्सक के पास आपको तवज़्ज़ो देने का समय है कहाँ?
ऐसे में आप अपने लिए और बेहतर ये कर सकते हैं।
#कम-से-कम चार बार मूंग की दाल का सूप १०० मिली.बनवाकर इसमें बराबर मात्रा में ताजा निकाला हुआ अनार का रस,आधा चम्मच गाय का घी,थोड़ी-सी काली मिर्च,भुना जीरा व सेंधा नमक,५ दाने बीज रहित मुनक्का मिलाकर चम्मच से पीएँ। इसको ‘रागषाड़व’ कहते हैं।
#’किवी’ फल खाएं,नारियल पानी पीएँ, पर ध्यान रखें डेंगू बुखार में अधिकतर चिकित्सकों द्वारा फ्रूटी या रस आदि पीने की हिदायत दी जाती है,इसे पीने से परहेज रखें। दरअसल प्रिजर्वेटिव व अनेक रसायन पड़े होने के कारण यह  शरीर में यह दर्द बढ़ाता है। इसके अलावा इस प्रकार के ज्वरों के लिए शास्त्रों में l-‘स्वरस्य गुरुत्वाच्च’ लिखा है। यानी कि किसी भी फल का निकला रस ज्वर के समय पचने में भारी होता है (वातकारक होने के कारण),अतः उसकी यथावत स्थिति में नहीं देना चाहिए।
#दिन में तीन बार महाज्वराँकुश रस (केवल बैद्यनाथ की लें) की दो दो गोली ४-४ चम्मच महासुदर्शन क्वाथ(सांडू आदि कं. का)के साथ बराबर पानी मिलाकर लें। इसी के साथ १-१ कैप्सूल कैराईका पपैया  निष्कर्ष (पपीते के पत्ते के सत्व का कैप्सूल)है,उपयोग किया जाए।
#आपकी क्षमता हो तो इन दवाओं के साथ १-१ गोली जयमंगल रस की पीसकर एक चम्मच गुलकंद में मिलाकर चटाएं,इससे बहुत तेज़ आराम होता  है।
#ज्वर यदि १०३° से ऊपर आता है तो,रोगी के कपड़े उतरवाकर शरीर १५ मिनट के लिए गीली चादर में लपेट दें,व माथे पर पानी की धार डालते रहें। १५ मिनट में ज्वर नीचे आ जाएगा।
यह सब मैंने ऐसे बहुत सारे डेंगू पीड़ित रोगियों के उपचार के आधार पर लिखा है,इसलिए स्थिति समझकर अपने विवेक से निर्णय लें।                          #डॉ. निशान्त गुप्ता आयुष

परिचय : शामली (उत्तरप्रदेश) के गाँधी चौक में चिकित्सा क्षेत्र में सेवारत डॉ. निशान्त गुप्ता आयुष, दर्द,गुर्दा-मूत्र रोग विशेषज्ञ हैं और इस क्षेत्र में फैली भ्रांतियों कॊ दूर करने में प्रयासरत हैं। इस के लिए जागरूकता सम्बन्धी आपके कई लेख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते हैं।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।