हिन्दी गौरव अलंकरण से विभूषित होंगे श्री छजलानी व श्री कुम्भज

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इंदौर ।

सर्वाधिक हिंदी प्रेमियों से सुसंगठित हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए प्रतिबद्ध ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’ 24 फरवरी 2020, सोमवार को हिंदी पत्रकारिता के शिखर व दशकों तक नईदुनिया के प्रधान संपादक रहे पद्मश्री अभय छजलानी व अज्ञेय के चौथा सप्तक के अग्र कवि, वरिष्ठ साहित्यकार राजकुमार कुम्भज को हिंदी गौरव अलंकरण से विभूषित करेगा।
पद्मश्री अभय छजलानी हिंदी पत्रकारिता की नर्सरी माने जाने वाले अखबार नईदुनिया के शिखर स्तम्भ रहे हैं। हिन्दी पत्रकारिता की कोपलों को उन्होंने बहुत करीने से सहेजकर पल्लवित होने में मदद की है। पत्रकार-जीवन में वे नईदुनिया के संपादकीय बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के अलावा वर्तमान में कई महत्त्वपूर्ण सामाजिक दायित्व ‍भी निभा रहे हैं।
आपके नेतृत्व ने देश और दुनिया को हिंदी के कई शीर्ष संपादक मिले जिनमें राजेन्द्र माथुर, प्रभाष जोशी, राहुल बारपुते, शरद जोशी आदि शामिल हैं।
राजकुमार कुम्भज इन्दौर की साहित्य धरा के अल्हड़ और दीवाने कवि हैं, जिन्हें अज्ञेय द्वारा संपादित चौथा सप्तक में सम्मिलित किया गया था। अब तक आपके लगभग 35 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं।
संस्थान द्वारा मातृभाषा दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में श्री छजलानी व श्री कुम्भज को हिंदी गौरव अलंकरण से सम्मानित किया जाएगा।
संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अर्पण जैन ‘अविचल’ ने बताया कि पद्म श्री अभय छजलानी जी और राजकुमार कुम्भज जी निःसंदेह हिंदी के गौरव हैं, आप के अवदान को सदियों तक याद रखा जाएगा। संस्थान आपको सम्मानित कर स्वयं गौरवान्वित महसूस कर रहा है।’
संस्थान की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. नीना जोशी ने हर्ष व्यक्त करते हुए श्री छजलानी व श्री कुम्भज जी के हिंदी के प्रति अनुराग को बताया।
मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय महासचिव कमलेश कमल, राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष शिखा जैन, राष्ट्रीय सचिव गणतंत्र ओजस्वी, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य मुकेश मोलवा सहित अंजलि वैद, जलज व्यास, लक्ष्मण जाधव, गफ्फार खान आदि ने शुभकामनाएँ दी।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।