छोड़ दिया साथ तुमने,
तो क्या में मार जाऊंगा।
अब में दिल किसी और
से लगाऊंगा नहीं।
मुझको अब तक
जितने मिले साथी।
सब के सब वो
दिल से खेलने वाले थे।
गैरो की हम क्यों बात करे
हम तो अपनो के हाथों ही लूटे।।
दिल टूटने पर में मरने गया,
जैसे ही नदी में कूदने लगा।
पीछे से किसी ने,
मुझे पकड़ लिया।
क्यो मोहब्बत के लिए
जान देते हो तुम।
तुम वतन से मोहब्बत
अब करने लगो।
और कर जाओ कुछ ऐसा तुम,
नाम तेरा अमर यहाँ हो जाये ।।
अब किसी पर मुझे,
यकीन होता नहीं ।
इसलिए दिल किसी से,
हम अब लगता नहीं।
छोड़कर प्यार मोहब्बत को हम,
अब वतन से दिल
हम लगाने लगे।
फर्ज अपना भारत माँ के प्रति
देकर प्राण हम अब निभाने लगे।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।00