ज़िंदगी अनमोल है | इसको सुरक्षित रखना हमारा मानवीय कर्तव्य है | जीवन और सड़क का आदिकाल से ही अटूट रिश्ता है | प्रतिदिन सड़कों से असंख्य जिंदगियाँ गुजरती हैं | अतः हमारी जिंदगी तभी सुरक्षित है जब सड़कें सुरक्षित हैं | आजकल तो सड़कों पर ऐसी –ऐसी दुर्घटनाएँ दिखतीं हैं कि रोम-रोम सिहर जाता है | गलती करता है कोई एक और जानें जातीं हैं अनेक |जानें कितनी सुहागें मिट जाती हैं | बहनें राखी के दिन थाल में रक्षा सूत्र लेकर सिसकने के लिए मजबूर हो जाती हैं | “सातों जन्म तक साथ निभाएँगे” का वादा भी एक ही दुर्घटना से पल भर में मटियामेट हो जाता है | यदि हम सड़क सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिए तो अगणित सपनें साकार होने से पूर्व ही शीशे का महल की भांति चकनाचूर हो जाएँगे |
सड़क दुर्घटना में बेकसूर लोग बेमौत मरते हैं, जो जघन्य अपराध है , महापाप है और है निंदनीय | जग में कौन है जो ऐसा अपराधी बनना चाहेगा | कोई नहीं ,लेकिन जाने – अनजाने में हम सब ऐसा अपराध कर निरपराध को पंचतत्व में मिलाने को उतावले रहते हैं |जब भी हम वाहन चलाते हैं तब हवा से बातें करने लगते हैं | रफ्तार देखकर ऐसा लगता है मानों गाड़ी वायुयान बनकर गगन में उड़ेगी | कुछ बहादुर चालक तो भीड़ देखकर और जोश में आ जाते हैं | जोश में होश खोना भयंकर भूल है | सबसे भयावह स्थिति तो तब बन जाती है जब एक चालक शराब पीकर यात्रियों से उलझते हुए वाहन चलाता है |
शिक्षक , चिकित्सक और चालक ; इन तीनों के हाथों में अगणित ज़िंदगियाँ होती हैं , अगणित सपनें होते हैं , वर्तमान होता है और होता है भविष्य | जब ये अपना संतुलन खोते हैं तब देश और समाज का संतुलन स्वतः बिगड़ जाता है |
यदि सड़क सुरक्षा की बात करें तो यह जन-जन की जिम्मेदारी है कि सब स्वयं को सावधान और सचेत रखें | कभी भी अपरिपक्कव व्यक्ति को गाड़ी चलाने का सुझाव न दें | यहाँ तक कि बच्चों को भी गाड़ी न चलाने दें | उनकी एक नादानी से अनेक हँसते – खिलखिलाते परिवारों में चीख – पुकार गूंज उठती है , मृत्यु तांडव नृत्य करने लगती है और फफकते आंसुओं का महासागर उमड़ने लगता है |
बच्चों के हाथों में वाहन की चाबी थमाना यानी यमलोक से मृत्यु को आमंत्रित करना | बच्चों की एक गलती से , एक शरारत से, एक नासमझी से......मुस्कुराती हुई हरी-भरी धरती लाल यानी रक्त – रंजित होकर छटपटाने लगती है |
यातायात के नियमों का पालन करके हम विश्व की अनमोल ज़िन्दगियों को सुरक्षित रख सकते हैं | हमें हमेशा सड़क की बायीं ओर ही चलना चाहिए | आम तो आम खास लोगों को भी यातायात प्रकाश( TRAFFIC LIGHT) एवं रंगों की सही जानकारी नहीं रहती है और वे जाने – अनजाने में छोटी-छोटी गलतियाँ कर बैठते हैं जिससे बड़े-बड़े हादसे हो जाते हैं और सजे धजे नीड़ उजड़ जाते हैं | अतः देश के हर नागरिक को प्रकाश एवं रंगों का मतलब कुछ इस तरह बताएं / समझाएं –
लाल रंग :- लाल रंग का संकेत है- रुकिए , आगे खतरा है |अन्य रंगों की अपेक्षा यह रंग बहुत ही ज्यादा गाढ़ा होता है जो दूर से ही दिखने लगता है और हमारी आँखों
(रेटिना) पर ज्यादा प्रभाव छोड़ता है |
पीला रंग :- पीला रंग संकेत देता है- “अब चलना है , तैयार हो जाओ” | यह रंग ऊर्जा और सूर्य का प्रतीक है |
हरा रंग :- हरा रंग का संकेत है- “आराम से वाहन को आगे बढ़ावें”| यह रंग प्रकृति और शांति का प्रतीक है जो आँखों को सुकून पहुंचाता है | यह खतरे के बिल्कुल विपरीत है |
यदि सड़क सुरक्षा से सम्बन्धित नियमों पर ध्यान न दिया गया तो देखते ही देखते में स्थिति भयावह हो जाएगी |अतः कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देकर हम हादसों से बच सकते हैं जो निम्नलिखित हैं –
क . वाहन चलाते वक्त मोबाईल का प्रयोग न करें | दर्पण में चेहरे का हावभाव न देखें | न बाल संवारें न मेकअप करें |
ख. नन्हे – मुन्ने बच्चों को अकेले सड़क पर न छोड़ें |
ग. पशुओं की वजह से प्रतिदिन हजारों हादसे होते हैं | अतः उन्हें सड़क पर न आने दें , चाहें ओ पालतू हो या फ़ालतू |
घ. गाड़ी चलाते वक्त ज्यादा वार्तालाप न करें |
ड. वाहन की गति पर नियंत्रण रखें |
च. नशा में कभी भी वाहन न चलावें |
छ. यातायात के नियमों का पालन न करने वालों पर तत्काल कानूनी करवाई करें |
ज. वाहन चलाते वक्त ख्वाबों की दुनिया में न खोएं | वर्तमान में ही जीने की कोशिश करें |
अनपढ़ तो अनपढ़ हैं | पढ़े – लिखे लोग भी बहुत कुछ पढकर भी नहीं पढ़ पाते हैं | जैसे- “दुर्घटना से देर भली ......ये जरा बच के ......सावधानी हटी, दुर्घटना घटी .......स्वयं सुरक्षित रहो और सबको सुरक्षित रखो ......सड़क सुरक्षा हमारा नैतिक और मानवीय कर्तव्य है .........यातायात के नियमों का पालन करो आदि | बहुत से लोग तो बिना हेलमेट के गाड़ी चलाकर खुश रहते हैं | यातायात के नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर और पुलिस को चकमा देकर फूले नहीं समाते हैं , लेकिन जिस दिन एक छोटी सी दुर्घटना में सिर में चोट लगने के कारण प्राण पखेरू उड़ जाते हैं और हँसता खेलता परिवार आसुओं के महासागर में डूब जाता है उस दिन हेलमेट का महत्व समझ में आता है | मै तो यही सुझाव दूंगा कि जब भी गाड़ी चलावें तो अपने चंचल मन को समझाते हुए उससे अवश्य कहें – “ए भैया ! जरा धीरे चलो| सावधानी हटी , दुर्घटना घटी |”
- सुनील चौरसिया ‘सावन’