मुझे मोहब्बत तुम्हीं से है बस ।
ये दिल धड़कता तेरे लिए है ।।
तू ही है बस एक सुकून दिल का ।।।
ये ज़िस्म सिसकता तेरे लिए है ।।।।
तुम्हीं से ख़ुशबू ग़ुलों में है बस ।
ये दिन निकलता तेरे लिए है ।।
तुम्हीं से रोशन बहार मुझमें ।।।
ये दिल धड़कता तेरे लिए है ।।।।
हुस्न से तेरे शफ़्फाफ़ है शब ।
ये चांद ढलता तेरे लिए है ।।
तुम्हीं जुनूं हो बस मेरे रहबर ।।।
ये मन महक़ता तेरे लिए है ।।।।
डॉ.वासीफ काजी
परिचय : इंदौर में इकबाल कालोनी में निवासरत डॉ. वासीफ पिता स्व.बदरुद्दीन काजी ने हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है,साथ ही आपकी हिंदी काव्य एवं कहानी की वर्त्तमान सिनेमा में प्रासंगिकता विषय में शोध कार्य (पी.एच.डी.) पूर्ण किया है | और अँग्रेजी साहित्य में भी एमए कियाहुआ है। आप वर्तमान में कालेज में बतौर व्याख्याता कार्यरत हैं। आप स्वतंत्र लेखन के ज़रिए निरंतर सक्रिय हैं।