दिया मुझे शिक्षकों ने,
हर समय बहुत ज्ञान।
तभी तो पढ़ लिख सका,
और कुछ बन पाया हूँ।
इसलिए मेरी दिल में,
श्रध्दा के भाव रहते है।
मैं जो कुछ भी हूँ आज,
उन्ही के कारण बन सका।
मैं उनके चरणों में,
झुकता हूँ शीश अपना।।
जीवन में शिक्षा का,
बहुत ही महत्त्व है लोगो।
इसे कोई भी कभी भी,
बाट या छीन नहीं सकता।
ये जीवन की सबसे,
अनमोल चीज जो है।
धनदौलत तो आती है,
और चली जाती है।
पर ज्ञान अंतिम समय,
तक साथ रहता है।।
जितना तुम मातपिता को,
दिल से पूजते हो,
उतना ही गुरुओ को भी,
तुम दो सदा सम्मान ।
तुम्हारे जीवन के,
ये ही तो मूल आधार है।
जो हर पल हर समय,
तुम्हारे काम आते है।
इसलिए लिए तो गुरुपूर्णिमा,
और शिक्षक दिवस हम मानते है।।
शिक्षक दिवस के अवसर पर सभी शिक्षकों के चरणों में संजय जैन (मुंबई) की रचना समर्पित है। में बहुत बहुत उन सभी ह्रदय से शुभ कामनाये और बधाई देता हूँ की आप लोगो के प्रयासों के कारण ही हम शिक्षित और सभ्य बन पाते है।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।