मार्गदर्शक बन गुरु ने सिखाया जीवन जीना

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शिक्षक दिवस विशेष………..

ज़िन्दगी के हर मोड़ पर कुछ न कुछ सीखा मैंने उन मिलने वालों से जो कहीं न कहीं मुझे जीवन मे एक शिक्षक एक गुरु के रूप में मिले।शिक्षक शब्द का विश्लेषण करें तो ये भी हो सकता है .. शि ,,से जिसने शिक्षा दी , यह अमूल्य जीवन एक बार रत्न की तरह मिला है,कभी भी इसकी आभा कम न होने देना।सदैव अपने कर्तव्यों के लिए सजग रहकर,अनेको के जीवन पथ में उजाला भरना ।
क्ष …. से सिखाया क्षय करना अपने अंदर की बुराइयों क्रोध, मान, माया,लोभ को जिस से एक बेहतर हीरा बन सको जिसकी आभा चहुंओर फैल सके पीढ़ी दर पीढ़ी इंसानियत पूर्ण समाज में ।
,, से सिखाया कभी न मानना हार , पुरुषार्थ के बल पर सत्य पर विजय पाना,,, ।
मैं बहुत भाग्यशाली मानता हूं अपने आपको की,जन्म से लेकर आज तक मुझे ऐसे शिक्षक मिले माता,पिता,दादा,दादी,चाचा,चाची,भाई, बहन,पति ,सास,ससुर,जेठ,जेठानी,बचपन जवानी के संगी साथी,जिनके साथ के कारण ही मैं आज अपने आपको गौरान्वित महसूस करता हूं। … क्योंकि किसी न किसी डगर पर उन्होंने मेरा हाथ थाम,आचार विचार दिए और मेरे व्यक्तित्व में सहायक बने।हाँ मैं उन सबको नमन करता हूं एक शिक्षक के रूप में
इससे बढ़कर मैं उन गुरुओं को तो कभी भी नही भूल सकता ,,उनको मेरा शत शत सादर प्रणाम जिन्होंने मुझे गुर दिए लौकिक शिक्षा के,कंटीली राह को सफल और सरल कैसे बनाये ….कितनी जी जान लगाएं और सफल हो जाएं। विपरीत परिस्तिथियों को हिम्मत से कैसे गुजार कर ,कंटीली राहों में फूल खिलाएं,,! सचमुच में ऐसे गुर बताने वाले गुरु न मिले होते तो,,,ऐसे गुरुओं को सादर प्रणाम,,,,ज़िंदगी तो चलने का नाम है अभी तो बहुत कुछ बाकी है,,,नित नए पड़ाव पर मुझे ऐसे ही गुर सिखाने वाले गुरु मिले जिससे बाकी ज़िन्दगी खुशहाल रहे।

#गोपाल कौशल

परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।