नव पल्लवित कोमल कली अभी खिली नही थी क्यारी में,
उजास अभी हुआ नही था,कुचक्र रचा अंधियारी नें,
माली बस कर ममता से रोप रहा था पौंधों को,
तभी न जाने किस दानव ने रौंद दिया घरौंदों को,
खुशियों से भरी हुई थी संसार समाया देखूंगी,
खेल कूद मस्ती और सतरंगी इंद्रधनुष भी देखूंगी,
शिखर चढूंगी,गगन छुंऊँगी आयाम नया मैं गढ़ दूंगी,
क्या पता था मुझको मैं ऐसे हैवानों के हाथ मरूँगी?
सब सपने टूट गए मेरे और टूट गया है मेरा मन,
गर्भ में ही मार दो मुझें नही लेना अब जनम,
ये ज़ालिम है दुनिया मुझे यूँ अंग अंग न काटो,
सब बहनों से बिनती मेरी इस देश न आना लाडो,
क्या उन हैवानों के भीतर कोई इंसान नही था,
आग हवस की जलती थी तो क्या कोई शमशान नहीं था,
थोड़ा तो सोचा होता हम बागों की कलियां हैं,
हमसे ही तू संसार तुम्हारी और तुम्हारी गलियां हैं
कैसी आग लगी है, इन खूनी हैवान दरिंदों में,
हिंसा का बीज उगा है ,इन हत्यारे बांझ परिंदो में,
कोई बैशाखी पकड़ा दो ,इस लंगड़े लूले शासन को,
लाल किले में लटका दो ऐसे दुष्कर्मी दुःशासन को,
जो बेटी की इज्जत से खिलवाड़ करे उसकी
छाती में गोली हो,
और उसी दरिंदे के रक्तो से रक्तिम होली हो,
अब नही सहन हो पायेगा कोई भी अन्याय,
कानून नही तो हे मानव तुम दे डालो न्याय,
मैं कलम धरोहर अपनी कविता से शोले बरसाउंगा,
अच्छे दिन की गुहार लगाने वालों को बस इतना बतलाऊंगा,
जिस दिन मेरी बहना रात ,घर को बिना डरे आजायेगी,
उस दिन ही तो अच्छे दिन की किरणें घनघोर घटा में छाएगी,
# ️दिप्तेश तिवारी
परिचयनाम:-दिप्तेश तिवारीपिता :-श्री मिथिला प्रसाद तिवारी(पुलिस ऑफिसर)माता:-श्रीमती कमला तिवारी (गृहणी)शिक्षा दीक्षा:-अध्यनरत्न 12बी ,स्कूल:-मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल रीवापरमानेंट निवास:-सतना (म.प्र)जन्म स्थल:-अरगटप्रकाशित रचनाए:-देश बनाएं,मैं पायल घुँगुरु की रस तान,हैवानियत,यारी,सहमी सी बिटिया,दोस्त,भारत की पहचान आदि।