आया है जुलाई का महीना

0 0
Read Time3 Minute, 27 Second

shashank mishra

आया जब जुलाई का महीना

बोला सोनू मां से

मां ओ मां

मुझको भी पाठशाला ले चल

मैं पढूंगा

मैं लिखूंगा

मेहनत कर

आगे बढूंगा

मां मुझको पाठशाला ले चल

सबका बढ़ना

मेरा बढ़ना

सबकी प्रगति

मेरी भी प्रगति

मां मुझको पाठशाला ले चल

सब हैं जाते

मैं ही न जाता

उनका बस्ता

मैं ही न पाता

मां मुझको पाठशाला ले चल

मां ओ मेरी मां

मुझको भी पाठशाला ले चल ।

#शशांक मिश्र

परिचय:शशांक मिश्र का साहित्यिक नाम `भारती` और जन्मतिथि १४ मई १९७३ है। इनका जन्मस्थान मुरछा-शहर शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) है। वर्तमान में बड़ागांव के हिन्दी सदन (शाहजहांपुर)में रहते हैं। भारती की शिक्ष-एम.ए. (हिन्दी,संस्कृत व भूगोल) सहित विद्यावाचस्पति-द्वय,विद्यासागर,बी.एड.एवं सी.आई.जी. भी है। आप कार्यक्षेत्र के तौर पर संस्कृत राजकीय महाविद्यालय (उत्तराखण्ड) में प्रवक्ता हैं। सामाजिक क्षेत्र-में पर्यावरण,पल्स पोलियो उन्मूलन के लिए कार्य करने के अलावा हिन्दी में सर्वाधिक अंक लाने वाले छात्र-छात्राओं को नकद सहित अन्य सम्मान भी दिया है। १९९१ से लगभग सभी विधाओं में लिखना जारी है। श्री मिश्र की कई पुस्तकें प्रकाशित हैं। इसमें उल्लेखनीय नाम-हम बच्चे(बाल गीत संग्रह २००१),पर्यावरण की कविताएं(२००४),बिना बिचारे का फल (२००६),मुखिया का चुनाव(बालकथा संग्रह-२०१०) और माध्यमिक शिक्षा और मैं(निबन्ध २०१५) आदि हैं। आपके खाते में संपादित कृतियाँ भी हैं,जिसमें बाल साहित्यांक,काव्य संकलन,कविता संचयन-२००७ और अभा कविता संचयन २०१० आदि हैं। सम्मान के रूप में आपको करीब ३० संस्थाओं ने सम्मानित किया है तो नई दिल्ली में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ वर्ग निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार-१९९६ भी मिला है। ऐसे ही हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरी अ.भा.हाइकु प्रतियोगिता २००३ में प्रथम स्थान,लघुकथा प्रतियोगिता २००८ में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान, अ.भा.लघुकथा प्रति.में सराहनीय पुरस्कार के साथ ही विद्यालयी शिक्षा विभाग(उत्तराखण्ड)द्वारा दीनदयाल शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार-२०१० और अ.भा.लघुकथा प्रतियोगिता २०११ में सांत्वना पुरस्कार भी दिया गया है। आप ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं। आप अपनी उपलब्धि पुस्तकालयों व जरूरतमन्दों को उपयोगी पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध करानाही मानते हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-समाज तथा देशहित में कुछ करना है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

रिश्तों का व्यापार

Fri Jul 5 , 2019
कितना सब कुछ बदल गया अपने हिंदुस्तान में। इसमें खुलकर हो रहा हर चीज का व्यापार । जहां देखो वही पाओगें विज्ञापन और दामो की सूची। जिस पर दर्शाया गया है हर चीज का दाम । क्या मंदिर क्या मस्जिद और क्या गुरुद्वारा । कोई भी नहीं बच पाया इस […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।