ईश्वर ने है दिया मुझे
एक प्यारा सा लाल
उसके आने से सब हर्षित
ईश्वर का वरदान ।
जबसे उसको पायी हूँ
घर संसार भुलायी हूँ
उसकी हँसी ठिठोली से
फूली नहीं समायी हूँ ।
उसकी नटखट सी वो बाते
मुझको बहुत लुभाती है
आँखों में तस्वीर है उसकी
ह्रदय में छायी रहती है ।
सुंदरता और चंचलता का
प्यारा सा वह मूरत है
नाम है उसका हर्ष
प्यारी सी उसकी सूरत है ।
जाता है जब वह विद्दालय
तनहा सी मैं रहती हूँ
जब होता है समय आने का
घर में रौनक होती है ।
ईश्वर की आभारी हूँ मैं
मुझको ऐसा लाल दिया
उसके बिन नहीं मैं हूँ पूरी
जब तक वह मुझे नहीं माँ कहता ।
होती हूँ जब दूर मैं उससे
जाने कैसा होता है
उसकी करती बातें सारी
प्यारा मेरा बेटा है ।
अम्मा बाबा का वह प्यारा
आँखों का वह तारा है
घर में करता है जब मस्ती
हर्ष – हर्ष का नारा है ।
उसके हाथों की चित्रकारी
सबको बहुत लुभाता है
गणपति बप्पा का प्यारा चित्र
देखके मन को भाता है ।
पढ़ने में वह इतना अव्वल
सहज में सब कर जाता है
अपने नन्हें हाथों से
हर कला को करके दिखाता है ।
होती हूँ मैं बहुत मगन
जब देखती उसकी करतब हूँ
मन मेरा होता निहाल
जब अम्मा – अम्मा कहता है ।
परिचय-
नाम -डॉ. अर्चना दुबे
मुम्बई(महाराष्ट्र)
जन्म स्थान – जिला- जौनपुर (उत्तर प्रदेश)
शिक्षा – एम.ए., पीएच-डी.
कार्यक्षेत्र – स्वच्छंद लेखनकार्य
लेखन विधा – गीत, गज़ल, लेख, कहाँनी, लघुकथा, कविता, समीक्षा आदि विधा पर ।
कोई प्रकाशन संग्रह / किताब – दो साझा काव्य संग्रह ।
रचना प्रकाशन – मेट्रो दिनांक हिंदी साप्ताहिक अखबार (मुम्बई ) से मार्च 2018 से ( सह सम्पादक ) का कार्य ।
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काव्य स्पंदन पत्रिका साप्ताहिक (दिल्ली) प्रति सप्ताह कविता, गज़ल प्रकाशित ।
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कई हिंदी अखबार और पत्रिकाओं में लेख, कहाँनी, कविता, गज़ल, लघुकथा, समीक्षा प्रकाशित ।
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दर्जनों से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रपत्र वाचन ।
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अंर्तराष्ट्रीय पत्रिका में 4 लेख प्रकाशित ।