जब भी पढ़ता हूँ अखबार और देखता हूँ दूरदर्शन।
मन बहुत उदास सा हो उठता है।
अब क्या ये सब ही रह गया है,
पढ़ने और देखने को।
आज यहां बलात्कार वहां पर हिंसा और अत्याचार,
और मंत्रीजी की हो रही वहां पर जय जय कार ।
कितना कुछ बदल दिया स्वार्थी पत्रकारों ने।।
कहाँ हम साहित्य और अच्छे विचारों की बात करते थे।
सुबह सुबह चाय के साथ, अखबार पढ़कर और दूरदर्शन देखकर खुश होते थे।
देश विदेश की खबरे पढ़कर और देखकर जानकारी लेते थे।
पर अब तो ये सब बदल गया।
देश का चौथा स्तंभ ही, अपने रास्ते से भटक गया।
न्याय नीति और सही जानकारी देना,
मानो जैसे वो भूल गया।
अब विज्ञापन और मिथ्या बातो को पूरे पूरे दिन,
और मुख्य पृष्ठ पर दिखाते है।
और दर्शक और पाठको का सिर दर्द बहुत बढ़ाते है।।
कभी जिसको देश की नींव हम कहते थे,
उसका आज बेहाल है।
नही करता कोई भी इस पर अब भरोसा।
क्योकि तथ्य हीन और झूठा का पुलंदा बनकर,
आज कल सभी की हंसी पात्र है।।
सभी की हंसी का बहुत बड़ा पात्र है।।
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।