बेदर्द को देख आओ यारो

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sushama malik
कोई तो जाकर एक दफा बेदर्द को देख आओ यारो,
           सुना है आजकल उनके चेहरे पर बड़ा नूर आया है!
बड़ी शख्सियत बन गए वो और गुमनामी में है हम,
          पूछ आओ कि इसी बात का उनको गुरुर आया है!!
मयखाने में जाने लगे और जाम उनके टकराने लगे,
         आजकल जाने किस मय का उन पर सुरूर छाया है!
खुद ही किया आकलन फिर आरोप भी लगे हम पर,
         बतलाओ कि कौनसा उनके सामने मेरा कसूर आया है!
मुबारक हो तुझे अब तो सलाम-ए-इश्क़ मेरी जान,
         तेरे रौनक भरे गलियारों में कौनसा वो हुजूर आया है!!
“मलिक” खड़े ही रह गए है बस इंतजार-ए-मुद्दत में,
        बोल देना मौहब्बत-के-दर्द लेकर बेकसूर आया है!!
मेरे ख्वाब मुक्कमल न हुए चाहत भी रही अधूरी,
      खुशी हुई सुनकर कि उनकी जिंदगी में कोहिनूर आया है!!
#सुषमा मलिक “अदब”
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।

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