नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद ( उत्तर प्रदेश ).
Read Time49 Second
उसके शहर से गुजरते हुए,
मैं उसके वादे लौटा आया।
जिस जगह वो मुझसे मिलती थी,
वहाँ से अपने निशां मिटा आया।
उसके शहर से गुजरते हुए,
मैं हँसते हुए उसे विदाई दे आया।
हँसते हुए अब जीवन जिये वो
मैं आँशुओ को गले लगा आया।
उसके शहर से गुजरते हुए,
मैं उसके धोखे भूला आया।
अब कोई और ना धोखा खाये।
धोखे का उसका मुखोटा उठा लाया।
अब किसी को धोखा ना देगी वो,
मैं उससे ये वादा ले आया।
उसके शहर से गुजरते हुए,
अपने सपने वही मैं छोड़ आया।
उसके शहर से गुजरते हुए,
मैं खुद को वही पर छोड़ आया।
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
April 4, 2017
तुम क्या जानो कृष्ण की महिमा
-
October 5, 2019
सुंदरता की परिभाषा
-
June 22, 2017
घर-संसार है बेटी
-
July 29, 2017
राहगीर
-
June 29, 2017
आकर्षण