मुरझाये चेहरे को
हमेशा मुस्कान देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
जब कभी उदास हो जाऊँ
माँ चुटकियों से हँसा देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
जब भी ठोकर खाऊँ
फूक मारकर दर्द भगा देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
जब कभी भूख का आभास होता
कहने से पहले ही खिला देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
जब कभी थक जाता
हाथों की थाप से थकान मिटा देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
जब कभी बीमार होता
दिन रात अपना लगा देती
माँ तो माँ है
देखते ही दर्द पहचान लेती।
माँ का कर्ज चुकाया नही जाता
उसके त्याग की भुलाया नहीं जाता
भटके हुए बेटो सुन लो जरा
माँ तो माँ है
माँ को रूलाया नहीं जाता।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति