राजनीतिक मजबूरी कहिए या भाजपा के विरोध की विकृत मानसिकता,या यह भी कह लीजिए कि हिन्दुत्व के साथ-साथ जमीर भी मर चुका है। आज जब सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता प्रशांत भूषण की भगवान श्रीकृष्ण पर की गई टिप्पणी पर एक तरफ भाजपा तो दूसरी ओर कांग्रेस ने इनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इधर फाइनेंस कम्पनी के प्रबंधक मुकेश मित्तल ने भूषण को एक चांटा मारने वाले को एक लाख रुपए देने की घोषणा सोशल मीडिया में की है।
भूषण ने कहा कि,रोमियो ने जीवन में एक लड़की से प्यार किया,जबकि कृष्ण तो कई गोपियों के साथ छेड़खानी करने के लिए प्रसिद्ध थे। क्या यूपी के सीएम आदित्यनाथ में है इतनी हिम्मत कि, वह आपने मुस्तैद दस्ते का नाम एंटी-कृष्ण स्क्वॉड रख सके?अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भगवान श्री कृष्ण को रोमियो बताया तो किसी यादव राजनेता के मुँह से कुछ नहीं निकला,जैसे सबके मुँह पर ताला जड़ दिया गया हो। अब कहाँ गए मुलायमसिंह यादव जो श्री कृष्ण के वंशज होने का दम्भ भरते नहीं थकते थे। कहाँ गए वो ‘लालटेनी’ लालू यादव! जब चारा चोरी में जेल गए तो कहा कि, हमारे आराध्य तो जेल में ही पैदा हुए थे। अब क्या आराध्य केवल भाजपा के रह गए हैं? कहाँ गए अखिलेश,तेजस्वी आदि-आदि..क्या अब सबने अपने वंश के सम्मान को भी राजनीतिक बलि-वेदी पर चढ़ा दिया है,भगवान श्री कृष्ण के वंशजों क्या तुम्हारा खून पानी हो चुका है। भाजपा विरोध में,खून का उबाल बर्फ जैसा ठंडा हो गया जो अपने इष्ट देवता का अपमान भी स्वेच्छा से सहन कर रहे हों। योगीराज श्रीकृष्ण का चरित्र हनन कुछ नासमझ रीतकालीन कवियों ने मुगलों को प्रसन्न करने के लिए किया,अन्यथा वे मात्र ७ वर्ष की अवस्था में तो गोकुल ही छोड़ चुके थे। भगवान कृष्ण की जिन लीलाओं में दुष्ट कवि या प्रशांत भूषण जिसे छेड़खानी कहते हैं,वो उस युग का एक आंदोलन था। माखन लेकर जाती गोपियों की मटकी फोड़ना एक क्रान्ति थी। बालकृष्ण द्वारा मटकी फोड़ना,कंस की उस आज्ञा का ‘माखन मथुरा पहुंचाया जाएगा’ के खिलाफ विद्रोह था।
श्रीcकृष्ण और गोपियों के लिए बहुत कुछ अनर्गल कहा जाता है,लेकिन बालकृष्ण की और उनकी मोहक छवि की दीवानी गोपियों की आयु का अंतर ही तमाम चीजों को समझने के लिए पर्याप्त है। ५-६ वर्ष का तमाम अलौकिक शक्तियों से युक्त कोई बच्चा किसका मन नहीं मोह लेगा? यदि किशोरी गोपियाँ उनके साथ खेलती थीं, तो खेलने का मतलब केवल काम क्रीड़ा ही नहीं है। काम क्रीड़ा किसी गैर जिम्मेदार घर का लड़का करे तो करे,लेकिन उस समय नन्द की उपाधि धारक घर का ५-६ साल का बेटा,यह कैसे कर सकता था! वो भी सार्वजनिक और सामूहिक रुप से ? वो भी वह बच्चा जिसको माखन चोरी की शिकायत पर उसकी माँ ने ऊखल से बांध दिया हो?रासलीला को लेकर श्रंगार रसवालों ने काफी भ्रान्ति फैलाई है,जबकि राससलीला तो उस काल की नृत्य क्रीड़ा थी। हर गोपी चाहती थी कि,बालकृष्ण उसके साथ ही नृत्य करे। तब बलकृष्ण ने अपनी यथा शक्ति सबके साथ नृत्य किया और गोपियाँ इतनी आनंद विभोर हो गईं कि,उनको लगता रहा कि कान्हा बस उसी के साथ नाच रहे हैं।
युग परिवर्तन हो रहा था,कई जगह के राजा को अनुग्रहित करने या कन्याओं से शादी की प्रतिबद्धता थी, सो उन्होने इस राजनीतिक प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए आठ शादियाँ की थी। यह सब तो भिन्न कथाओं से पता चल ही जाता है..पर,सृष्टिकलंक युगप्रदूषण प्रशांत भूषण तुम क्या समझोगे श्रीकृष्ण जी की महिमा।
#संजय यादव
परिचय : संजय यादव इंदौर में खण्डवा रोड पर रहते हैं और जमीनी रुप से सक्रिय पत्रकार हैं। आपने एम.कॉम,एम.जे. के साथ ही इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से एमबीए भी किया है। कई गम्भीर विषयों पर आप स्वतंत्ररुप से कलम चलाते रहते हैं।
प्रशांत भूषण जी श्रीकृष्ण की लीलाओं और बाल लीलाओं को ब्रम्हा भी नहीं समझ पाए,तो उनके रहस्य को आप क्या समझ पायेंगे? एक तुच्छ मानव यह नश्वर संसार को अपना समझ बैठता है, तो वह कृष्ण की लीलाओं को क्या समझ पायेगा! कृष्ण के सिर पर जो मोर का पंख सुशोभित होता है,वह भी इस बात का प्रतीक है, कि कामना रहित अर्थात मोरपंख वासनाओं से रहित है,मोर के अंदर कोई भी वासना नहीं होती इसलिए मोर के पंख को भगवान श्री कृष्ण अपने सिर पर धारण किए हुए हैं। प्रशांत भूषण जी को सात जन्म भी कम पड़ जाएंगे श्रीकृष्ण की लीलाओ को समझने के लिए लेकिन वह समझ नहीं पाएंगे! धन्यवाद जय श्री कृष्णा