लावण्य

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vaishno khatri

 

बिखरता रूप कण कण से,

बिखरती फुलझड़ी जैसे।

सुनहरी फ्रेम में एक मरकरी,

मूरत जड़ी जैसे।।

हुआ अहसास ऐसा,

आज हमको रूप दर्शन पर।

अचानक शुभ घड़ी में ,

लौट आए जिंदगी जैसे।।

 

दीप सी चमकती आभा से

हिम-सी शीतलता हो जैसे

चन्दन सा आकर्षण लेकर

कुमकुम सी कोमल हो जैसे

हुआ एहसास ऐसा

तुम्हारी चंचलता पर

स्वर्ग परी उतर आई हो जैसे

 

सौंदर्य से चित्रित सरिता में

नीलम सा निखार हो जैसे

फूलों से न्यारी तुम हो सुंदर

ख्वाबों की क्यारी हो जैसे

हुआ एहसास ऐसा

अजब सी खुमारी पर

आखें तुम्हारी बोलती हों जैसे

 

घनेरी जुल्फें है ऐसी

गंगा की लहर हो जैसे

होंठो की मुस्कान है ऐसी

गुलाब भी शर्माए जैसे

हुआ एहसास ऐसा

तेरी झील सी आँखों पर

सूरज की लाली दमक रही हो जैसे

 

नाम- वैष्णो खत्री

साहित्यिक उपनाम-वैष्णो खत्री

वर्तमान पता- जबलपुर (मध्य प्रदेश) 

 

शिक्षा-        बी एड, एम ए-

          (हिंदी साहित्य, समाज शास्त्र)

कार्यक्षेत्र- सेवा निवृत शिक्षिका केंद्रीय विद्यालय छिंदवाड़ा।

विधा – काव्य-गद्य सृजन, गीत, गज़ल आदि।

 

प्रकाशन-    विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में रचनाएँ प्रकाशित।

एक काव्य संग्रह ‘अनछुई पंखुड़ियाँ’ प्रकाशित हो

चुका है।

एक और ‘काव्य संग्रह’ आत्म-ध्वनि प्रकाशित होने वाला है।

अन्य उपलब्धियाँ एवं सम्मान-

सम्मान-काव्य रंगोली साहित्य भूषण सम्मान 2018, सहभागिता सम्मान 2018,

राष्ट्रीय कवि चौपाल, रामेश्वर दयाल दुबे साहित्य

सम्मान 2019, राष्ट्रीय कवि चौपाल स्टार हिन्दी श्रेष्ठ सृजनकार सम्मान। मार्च 2019, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् विराटनगर, साहित्य सम्राज्ञी सम्मान मार्च 2019

ब्लॉग-merirachnaayain.blogspot.com

लेखन का उद्देश्य-। मेरे द्वारा कृत रचनाओं से अनछुए पहलुओं को कलमबद्ध करके सामान्य पाठकों के बीच लाना और सामाजिक सम्वेदनाओं के मूल्यों को जगाना ही मेरा मुख्य उद्देश्य है।

 

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।