बड़ा ख्वाब नही मेरा, बस इतनी सी गुजारिश़ है,,
किसी का दिल ना दुखाऊ मैं, बस इतनी सी ख्वाहिश़ है,,
पाया भी बहुत मैनें, खोया भी बहुत कुछ है,,
मंजिल को पाने को , बोया भी बहुत कुछ है,,
रिश्तें निभाने को , खुद की आजमाईश है,,
बड़ा ख्वाब नही मेरा, बस इतनी सी गुजारिश़ है,,
किसी का दिल ना दुखाऊ मैं, बस इतनी सी ख्वाहीश़ है,,
खुद को खुद में देखु, मेरे दर्पण का आकार नही,,
तन्हाई छिपाने को , महफिल़ का व्यवहार नही,,
आकाश भी पाना है, पर धरती से सिफारिश़ है,,
किसी का दिल ना दुखाऊ मैं, बस इतनी सी ख्वाहीश़ है,,
मेरे मन की पीड़ा को, यहां समझा ना कोई,,
खुशीयां दिखाने को , मैं जी भर कर रोई,,
राणा के शब्दों में , ये साधना की नुमाईश है,,
बड़ा ख्वाब नही मेरा, बस इतनी सी गुजारिश़ है,,
किसी का दिल ना दुखाऊ मैं, बस इतनी सी ख्वाहीश़ है,,
#सचिन राणा हीरो
हरिद्वार (उत्तराखंड)