होली है

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ajay ahsas

मेरे दिल का कोई कमरा तेरे रहने की खोली है,
कहीं रहता मेरा बचपन कहीं बच्चों की टोली है।
मचलते हैं कहीं बूढ़े गुलाबी खुश्बुएं लेकर
मचलता है मेरा मन और कहता आज होली है।
सजे हैं गीत रंगो में सजी है धरती हरियाली,
है लगता गुड़ से मीठा भी जो भाभी आज बोली है,
डुबोकर हाथ रंगो में करें स्पर्श जब मेरा,
जो कहता छेड़ो न मुझको तो कहती आज होली है।
वो रंगो में रंगे बूढ़े पिये हैं भांग के प्याले,
बुढ़ापे में कहें भउजी, बुजुर्गों की ये बोली है।
गुलाले फेककर ऊपर कभी भइया बड़े कहते,
बुरा मत मानना छुटकी, कहें की आज होली है।
पिया जब से गये बाहर थकी हैं रास्ता तककर,
सिमटकर ऐसे बैठी जैसे कि बैठी वो डोली हैं।
जो देखी प्रेम पिचकारी करें भी क्या थकी हारी,
पड़़ोसी बोल ही बैठा कि भाभी आज होली है।
सभी स्रृंगार से अच्छा था चेहरे पर लगा जो रंग,
पड़ा सब रंग चेहरे पर लगा जैसे ही धो ली हैं।
तुरत ही हाथ रंगकर गाल पर रखते हुए बोला,
बुरा मत मानना भाभी मेरा भी आज होली है।
बहुत से दोस्त आये हैं गले मिलने दुआ देने,
मेरे हमदम, मेरे हमराह हैं, हमजोली हैं।
दिलों को खोलकर मिलते समाते एक दूजे में,
कहें की यार अब तो मान जा कि आज होली है।
बना दे दोस्त दुश्मन को दिलों में अपनापन लाये,
गले ऐसे लगा कि देखकर नफरत भी रो ली है।
मिटा दो सब गिले शिकवे डुबो उल्लास रंगो में,
कि बांटो भाई चारा प्यार देखो आज होली है।
हो चाहें लाल पीला कि हरा चाहें गुलाबी हो,
यही त्योहार जाति धरम खतम करने की गोली है।
हो चाहें हिन्दु या मुस्लिम कोई भी जाति हो लेकिन,
गले मिलते चाचा जुम्मन व हरिया आज होली है।
मजहबी छोड़कर भाषा कि छोड़ें जाति की लासा,
कि इसमें सब समाहित हैं ये होली आज बोली है।
हुआ ‘एहसास’ नूरे आसमां भी है उतर आया,
खुशी से भर लो सब धो ली और बोलो आज होली है।

#अजय एहसास

परिचय : देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के सुलेमपुर परसावां (जिला आम्बेडकर नगर) में अजय एहसास रहते हैं। आपका कार्यस्थल आम्बेडकर नगर ही है। निजी विद्यालय में शिक्षण कार्य के साथ हिन्दी भाषा के विकास एवं हिन्दी साहित्य के प्रति आप समर्पित हैं।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।