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चाटूकार नहीं हम कलमकार हैं
कलम के प्रति हम वफ़ादार हैं
सच लिखने का हमने जज्बा रखा
कवि शायर ही नहीं जिम्म्मेदार हैं
दिखावा जरा भी फितरत में नहीं
लिखेंगे वही जो भी असरदार है
जरूरी तो नहीं मंच पर ही मिलेंगे
जज़्बात पढ़ लो खुला अखबार है
खोल कर रख देंगे पोल उनकी
देशद्रोही वतन में जो भी गद्दार है
जुल्म से लड़ेंगे,लड़ेंगे हकों की लड़ाई
आम है हम लोग हमें अधिकार है
-किशोर छिपेश्वर”सागर”
बालाघाट
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