एक नायक ऐसा भी…

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इस कोरोना काल में लोगों की पीड़ा और परेशानियों की अनगिनत तस्वीरों के बीच कुछ ऐसी भी तस्वीरें आईं जिन्होंने तपती रेत पर बारिश की नर्म बौछार कर दी…लोगों के चेहरे खिल गए…मुसीबत से लड़ने की नई ताकत मिल गई…

एक इंजीनियर से अभिनेता बने सोनू सूद को दबंग, अरुंधति और डुकुडु (तेलुगु) और चंद्रमुखी (तमिल) फिल्मों में खलनायक के रूप में दर्शकों ने खूब पसंद किया…जब भी वे किसी रियलिटी शो या कॉमेडी शो में आये दर्शकों ने उनसे सिक्स पैक एब्स दिखाने की जिद नहीं छोड़ी…संकोच और सकुचाहट के साथ सोनू ने अपनी शर्ट उतारी…दर्शकों ने जमकर तालियां और सीटियां बजायीं… ग्लैमर के पीछे भागती नौजवान पीढ़ी उनके बॉडी लैंग्वेज और सिक्स पैक एब्स की दीवानी बनी रही… लेकिन आज जब वह इंसान मजदूरों को अपने अपने घर भेजने की जिद ठानकर सड़क पर उतरा तो उसके संवेदनशील हृदय को पूरे देश ने देखा…उसके जज्बे को पूरे देश ने सलाम किया…और देखते देखते रील लाइफ का खलनायक रियल लाइफ का महानायक बन गया…

दिखावे और श्रेय लेने वालों की भीड़ से अलग सोनू सूद के शब्दों ने हर भारतीय के कानों में रस घोल दिया…

पैदल क्यों जाओगे दोस्त…
लो इंतजाम हो गया…
वापस तो आओगे न दोस्त…?

सोनू सूद कहते हैं…’जिन मेहनतकशों ने हमारे घर बनाए, सड़कें बनाईं हम उन्हें बेघर सड़कों पर नहीं देख सकते…’

ऐसे हालात कैसे बने…कौन जिम्मेदार है…इसकी बहस में पड़े बिना सोनू सूद ने वह काम किया जो हर सक्षम और सच्चे राष्ट्रभक्त को करना चाहिए…संकट के समय जरूरतमंद और लाचार लोगों की मदद से बढ़कर दूसरा कोई राष्ट्रधर्म नहीं होता…

सोनू सूद जी… आज हजारों लोगों के दिलों से निकली दुआएं आपको मिल रही हैं…आप सही मायनों में नायक हैं…आपने वही किया जो आपके दिल ने कहा…आपका भाव भी पवित्र था…आपका इरादा भी…और देखिए कैसे देश के तमाम लोगों ने भी आपको अपने सिर आंखों पर बिठा लिया…

आपके जज्बे को नमन !
ईश्वर की मेहर आप पर बनी रहे…और इसी तरह आप जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आते रहें…

आज देश और समाज को आप जैसे नायकों की जरूरत है…

डा. स्वयंभू शलभ

matruadmin

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।