उबलता हुआ घुआँ में
जैसे लहर आयी हो
बूँद-बूँद को तड़पेगा
दृढ इच्छा शक्ति के सहारे
तेरे फैसले होने लगे वायदे के सहारे।
सदियों से हमारा पानी पीकर
आँख हमें दिखलाता रहा
हमें जख्मों पर जख्म देता रहा
वर्षो से आँख मूँदकर
हमारी सरकारे सोती रही।
आबाद रहे सरकार हमारी
दृढ संकल्प दोहरायी है
जाग जाओ हिन्द वासियों
सारे समझौते तोड़ना जरूरी ।
बंद करो व्यापार अब
उसने मानवता पर प्रहार किया
देश के अन्दर जयचंदो पर भी
देखो हो रहा प्रहार अब
बारूद की भाषा बोलने वाले का
देश से बाहिष्कार करो?
कर दो सब कुछ बंद
सारे जयचंदो का
घूमने दो इनको खुले में
इनको सुरक्षा का घेरा
भी रोकना जरूरी अब।
जिसने कदम कदम पर
देश को शर्मसार किया
गम के माहौल में भी
राजनीति से शर्मसार किया।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति