पुस्तक समीक्षा
कृति:-अंतरदर्शन (काव्यसंग्रह)
कवयित्री:-डॉ. मीना कौशल
प्रकाशक:-साहित्य संगम संस्थान प्रकाशन इंदौर(म.प्र.)
पृष्ठ:-80
मूल्य:- 200/-
समीक्षक:- राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”
शिक्षक एवम साहित्यकार
प्रस्तुत कृति अंतरदर्शन की कवियित्री डॉ. मीना कौशल का यह प्रथम काव्य संग्रह है जिसमे सामाजिक,धार्मिक,आर्थिक,सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई काव्य रचनाओं का सुंदर संकलन है।इस काव्य संग्रह का संपादन डॉ. आचार्य भानुप्रताप वेदालंकार,देश की ख्याति नाम कवयित्री छाया सक्सेना प्रभु ने किया है।कृति में साहित्य संगम संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजवीर सिंह मंत्र ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि मीना कौशल की यह कृति साहित्य जगत में अपनी पहचान बनाएगी।डॉ. अरुण श्रीवास्तव अर्णव,राजीव प्रखर,आचार्य भानुप्रताप,छाया सक्सेना के शुभकामना संदेश भी नवोदित प्रतिभाओं के उत्साह वर्धन करते प्रेरक लगे।डॉ. मीना कौशल एक प्रसिद्ध शिक्षिका है।प्रस्तुत कृति में कवयित्री ने अपनी काव्य रचनाओं में भावपक्ष मजबूत रखा है,लघु काविताओं की भाषा सरल एवं बोधगम्य है।भावपक्ष सरस है।
कृति की प्रथम रचना सरस्वती वंदना में कवयित्री कहती है “दया निधान भारती विधान भाग्य स्वामिनी। ज्ञान दीप दामिनी सुकर्म पूण्य दायिनी।। इस वन्दना में माँ भारती के विकास की कामना की गई है। देश प्रेम की भावना रखने वाली कवयित्री के उदगार अच्छे लगे।
डाकिया कविता में वह कहती गया”पत्रवाहक पत्र लेकर आ गया।
प्रियजनों की आस का,संदेश लेकर आ गया।। इंटरनेट के युग मे अब डाकिया डाक नही लाता लेकिन जब भी आता है प्रियजनों की आस का संदेश लेकर आता है। ईश्वर से काल्पनिक संवाद मे कवयित्री बचपन के पुनरागमन की कामना करती है वह ईश्वर से कहती है “नयन बह चले है,हॄदय रो रहा है।विकल आज बचपन,कही खो रहा है।।” वास्तव में तकनीकी युग मे बचपन खोता जा रहा है।सामयिक कविता अच्छी लगी।हरि गान कविता में सदा सत्य की राह पर चलने का कवयित्री प्रेरक संदेश देती है। वह ईश्वर से प्रार्थना करती है “रे मन हरि गुणगान करो।सदा सत्य संधान करो।।”
काजल शीर्षक से श्रृंगार रस की काव्य रचना में काजल की महिमा का गुणगान किया है “काजल पलकों में सजे ,छवि लोचन बढ़ जाय। नेत्र बने वाचाल जव काजल नैनन छाय।।”
संसार सागर समस्याओं से भरा है उसे पार करना है तो निरन्तर संघर्ष करना होगा। जब हम अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते है तो भाव डगमगा जाता है,कुछ ऐसे ही आशय को प्रकट करती ये पंक्तियां देखिए “भँवर में चली नाव डगमग चली, सदा कंटकों बीच कलियां चली”।। आज देश में बेटियां सुरक्षित नहीं है,बेटियों के लिए कवयित्री कहती है कि चन्दन सी शीतल बेटी,कलियों सी कोमल बेटी। तुलसी कविता भी भावपूर्ण लगी। भारत की महिमा का गुणगान करता गीत देशभक्ति के भाव जगाने में सक्षम लगा। कुछ पंक्तियाँ देखिए “कुछ फूल हमारे बागों को,जन्नत-सा सजाये रक्खे है। कुछ लाल हमारे भारत की,गरिमा की बचाये रक्खे है।।” राष्ट्र भाषा हिंदी का सम्मान करना चाहिए। हर हिंदी सेवी को भारत में ही नहीं विदेशों में भी हिंदी का परचम फहराने की ज़रूरत है। कवयित्री दायित्व शीर्षक से काव्य रचना में कहती है “भारती का ध्यान कर,हिंदी का गुणगान कर। हिंदी का सम्मान कर,दायित्व निभाइये।।”
माँ कविता में बालक की प्रथम पाठशाला माँ होती है बताया है। बालक को माँ अपने आँचल की छाया में पाल पोसकर बड़ा करती है। माँ का ऋण कोई नहीं चुका सकता। माँ के चरणों में जन्नत होती है जो मांगों सच्चे दिल से पूरी मन्नत होती है,ऐसे ही भावों को शब्द सुमनों में संजोते हुए,मीना कौशल कहती है “माँ तू मन्नत है,माँ तू जन्नत है,तेरा आँचल मेरा जग है। तेरे आँचल की छाया में,जीवन मेरा जगमग है।।”
हे श्रमिक देवता नमस्कार! काव्य रचना में भूमि पुत्रों के हालात से रूबरू कराती रचना बहुत सुंदर बन पड़ी। किसान ही हमारे देश की रीढ़ है। किसान कर्मयोगी होते है। शीत, ताप, वर्षा सब सहते है। दुख का विषय है कि वर्तमान में किसानों की समस्यायों पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। किसान आत्महत्याएं कर रहे है। कवयित्री किसानों के बारे में कहती है “हे श्रमिक देवता नमस्कार,कर्म योगी है निर्विधार। हे मानस तेरा धवलधार, तुम हो कर्म के सूत्रधार।।”
बेटी कविता में भारत की संस्कृति को चित्रित किया है। नवरात्रि में कन्याओं का पूजन किया जाता है। हर अनुष्ठान में बेटियों को सबसे पहले पूजा जाता है। प्रस्तुत रचना में डॉ.कौशल कहती है “बेटी बेटी होती है,जाति धर्म न सम्प्रदाय से इसका कोई नाता। इनको ही हर अनुष्ठान में पहले पूजा जाता।।”
जल संरक्षण,पर्यावरण प्रदूषण आदि पर भी कवयित्री ने पैनी कलम चलाई है,वह कहती है “जल संरक्षण पुण्य है,जल संरक्षण दान। जीवन नीर बचाइए,वसुधा का सम्मान।।” जल की एक एक बूंद कीमती है,हम सबको बहते जल को बचाना है। वृक्ष काटे जा रहे है जिससे असमय बारिश हो रही है,पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। डॉ. कौशल लिखती है “धरती प्यासी हो रही,व्रक्ष रहे अकुलाय। मानसून गायब हुए,पुष्प गए कुम्हलाय।।”
प्रस्तुत कृति की उपेक्षित वधु,आशा,शीत प्रकोप,विपदा हरो,दीप प्रेम का जलाओ,स्वागत वसन्त, कविताएं भी महत्वपूर्ण है जो मनुष्य को प्रेरक सन्देश देती है।
प्रस्तुत कृति से कवयित्री साहित्य जगत में अपनी पहचान बनाएगी,इन्हीं शुभकामनाओं के साथ आत्मिक बधाई। कृति की ये पंक्तियां इस कृति का प्राण है “कल्पना में भावना ,कुछ साधना आधार हो। कामना सात्विक सुगम शुचि नेह का आगार हो।। यामिनी में दामिनी सी उज्जवला वाणी रहे। साहित्य का स्वर्णिम सृजन देवमय संसार हो।
#राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’
परिचय: राजेश कुमार शर्मा ‘पुरोहित’ की जन्मतिथि-५ अगस्त १९७० तथा जन्म स्थान-ओसाव(जिला झालावाड़) है। आप राज्य राजस्थान के भवानीमंडी शहर में रहते हैं। हिन्दी में स्नातकोत्तर किया है और पेशे से शिक्षक(सूलिया)हैं। विधा-गद्य व पद्य दोनों ही है। प्रकाशन में काव्य संकलन आपके नाम है तो,करीब ५० से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा आपको सम्मानित किया जा चुका है। अन्य उपलब्धियों में नशा मुक्ति,जीवदया, पशु कल्याण पखवाड़ों का आयोजन, शाकाहार का प्रचार करने के साथ ही सैकड़ों लोगों को नशामुक्त किया है। आपकी कलम का उद्देश्य-देशसेवा,समाज सुधार तथा सरकारी योजनाओं का प्रचार करना है।