घाटी से उठी चिंगारी
पूरा देश में धधक गया
देखो डर के मारे
सात हूरों खा ख्वाब दिखाने वाला
अस्पतालों में छुप गया।
इतना गरूर अगर था, तुम्हें
सामने से आये होते
सच कहता हूँ
एक-एक जवान
दस-दस पर भारी होते।
घोखे तुम्हारी रग-रग में भरा
मक्कारी की फसल बोते हो
भिखारी बनकर सारे नगर
कटोरा लेकर घूमते हो।
अब तो सब पहचान गए तुम्हें
आतंक के सहारे जीते हो
तभी तो उसकी खिदमत में
दिन-रात लगे रहते हो।
दूरिया बना रहा तुमसे सारे देश
अमेरिका रूस या हो यूरोपीय देश
सभी तेरी फिदरत से वाकिफ है
दे रहे है तुझको अपना संदेश।
समझ लो यह है
महाभारत से पहले कृष्ण का संदेश
दुर्योधन ने भी नही माना था
कृष्ण को बंदी बनाने की
हिमाकत कर डाला था
बदले में हुई महाभारत
और कौरव हारा था।
पुलवामा का आतंक फैलाकर
गलती तूने कर डाली
गाजी कामरान गया
अब आतंक के आकाओं
की बारी है आने वाली।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति