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किसकी नजर लगी
इस देश को मेरे दोस्तों
शाम तो शाम
सुबह भी काली है दोस्तों ॥
इंसानियत सो रही
हैवानियत जागी है दोस्तों
युवा तो युवा
बूढ़े भी बवाली हैं दोस्तों ॥
किसी का नहीं भरोसा
सब जालिम है दोस्तों
पराये तो पराये
अपने भी बने रुदाली हैं दोस्तों ॥
सफेदपोशों का पूछो न हाल
खुद में ही उलझे हैं दोस्तों
पक्ष या विपक्ष
नेता बने गाली हैं दोस्तों ॥
कमाता है कोई
कोई लूटता है दोस्तों
देखकर भी सब
बजाते सिर्फ ताली हैं दोस्तों ॥
धर्म , संस्कृति की बातें
सब भूले हैं दोस्तों
मन तो मन
जबान भी खाली है दोस्तों ॥
नारी मर्यादा की सोंच
किताबों की शोभा है दोस्तों
दोस्त तो दोस्त
हमसफ़र भी जाली है दोस्तों ॥
मानव की प्रकृति
विकृत हुई है दोस्तों
माँ तो माँ
धरा भी बनी सवाली है दोस्तों ॥
अंधेरे की कहानी
सिर्फ गाओ न दोस्तों
काम तो काम
बात भी न ख्याली हो दोस्तों ॥
बहुरेंगे दिन
जो सोंच ले दोस्तों
दूर करो खुद से
नाउम्मीदी जो पाली है दोस्तों ॥
#आचार्य धीरेन्द्र झा
परिचय-
संस्कृत साहित्य से आचार्य वर्षों से कविता लेखन में रत है। रचनाओं में शृंगार रस की प्रधानता होती है । प्रसाद साहित्य परिषद , हिन्दी साहित्य सम्मेलन एवम् कला संगम संस्थाओं से जुड़े है।
प्रखंड -रुन्नी सैदपुर
सीतामढी , बिहार
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