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जब भी खोली मन की किताब
पन्ने सारे सफेद मिले
ऐसा लगा कि जीवन सारा
श्वेत जल की धारा सा रहा
जीवन के इस सफर में लोग तो अनगिनत मिले
पर ऐसा कोई न मिला जो मेरा हमसफ़र बने
अनगिनत लम्हे ,यादें व सुनहरे पल
इन यादों को देते हैं प्यार का संबल
बस इस इंतजार में हूं कि
मेरी इस किताब को भी मिल जाए एक शीर्षक
और शुरू हो रंगों का एक नया सफर
#अंजलि वैद
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