काव्य रंगोली छायी है

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shashank mishra

नये साल की पावन वेला में प्राची ने अरुणिमा विखरायी है

ललितकलाओं में श्रेष्ठ साहित्य उसमें भी काव्य रंगोली छायी है

कविकोविद वाल्मीकि तुलसी दिनकर नीरज पंवार तक आयी

लूटती वाहवाही श्रोताओं की उनके हृदय पटल में समायी है ।

 

बदल रहे हम साल दर साल कलेंडर पर कलेंडर अपने घरों के

आधी आधी रात तक पार्टियां सुबह से बधाईयां आज के पढ़ों में

मन न बदला मानस न बदला केवल औपचारिकता गई निभायी है

ललितकलाओं में श्रेष्ठ साहित्य उसमें भी काव्य रंगोली छायी है।

 

घर आंगन बाजार सज गये पत्र बधाईयों के और सन्देश हैं दौड़ पड़े

आत्मीयता पहले सी भले ही न हो पर उंगलियां दौड़ाते हैं लिखे पढ़े

देश में सरदी संसद में गरमी किसान दुखी वेला नववर्ष की आयी है

ललित कलाओं में श्रेष्ठ साहित्य उसमें भी काव्य रंगोली छायी है।

 

समय के साथ हम न बदले क्या लाभ उठाकर आगे बढ़ पायेंगे

साल दर साल के आते नववर्षों में हम खड़े विश्व संग हो पायेंगे

बचपन से सुना आजतक सुनता पर रंगत सच्ची न छा पायी है

ललित कलाओं में श्रेष्ठ साहित्य उसमें भी काव्य रंगोली छायी है।

 

आजादी के सात से अधिक दशक बिताकर हम जापान से पीछे हैं

वह छोटे कदमों से ही आगे बढ गये हम छिन्द्रान्वेषण ही सींचे हैं

ऐसे में मित्रों आजादी के पहररुओं की कितनी बात समझ पायी है

ललित कलाओं में श्रेष्ठ साहित्य उसमें भी काव्य रंगोली छायी है।

#शशांक मिश्र

परिचय:शशांक मिश्र का साहित्यिक नाम `भारती` और जन्मतिथि १४ मई १९७३ है। इनका जन्मस्थान मुरछा-शहर शाहजहांपुर(उत्तरप्रदेश) है। वर्तमान में बड़ागांव के हिन्दी सदन (शाहजहांपुर)में रहते हैं। भारती की शिक्ष-एम.ए. (हिन्दी,संस्कृत व भूगोल) सहित विद्यावाचस्पति-द्वय,विद्यासागर,बी.एड.एवं सी.आई.जी. भी है। आप कार्यक्षेत्र के तौर पर संस्कृत राजकीय महाविद्यालय (उत्तराखण्ड) में प्रवक्ता हैं। सामाजिक क्षेत्र-में पर्यावरण,पल्स पोलियो उन्मूलन के लिए कार्य करने के अलावा हिन्दी में सर्वाधिक अंक लाने वाले छात्र-छात्राओं को नकद सहित अन्य सम्मान भी दिया है। १९९१ से लगभग सभी विधाओं में लिखना जारी है। श्री मिश्र की कई पुस्तकें प्रकाशित हैं। इसमें उल्लेखनीय नाम-हम बच्चे(बाल गीत संग्रह २००१),पर्यावरण की कविताएं(२००४),बिना बिचारे का फल (२००६),मुखिया का चुनाव(बालकथा संग्रह-२०१०) और माध्यमिक शिक्षा और मैं(निबन्ध २०१५) आदि हैं। आपके खाते में संपादित कृतियाँ भी हैं,जिसमें बाल साहित्यांक,काव्य संकलन,कविता संचयन-२००७ और अभा कविता संचयन २०१० आदि हैं। सम्मान के रूप में आपको करीब ३० संस्थाओं ने सम्मानित किया है तो नई दिल्ली में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ वर्ग निबन्ध प्रतियोगिता में तृतीय पुरस्कार-१९९६ भी मिला है। ऐसे ही हरियाणा द्वारा आयोजित तीसरी अ.भा.हाइकु प्रतियोगिता २००३ में प्रथम स्थान,लघुकथा प्रतियोगिता २००८ में सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुति सम्मान, अ.भा.लघुकथा प्रति.में सराहनीय पुरस्कार के साथ ही विद्यालयी शिक्षा विभाग(उत्तराखण्ड)द्वारा दीनदयाल शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार-२०१० और अ.भा.लघुकथा प्रतियोगिता २०११ में सांत्वना पुरस्कार भी दिया गया है। आप ब्लॉग पर भी सक्रिय हैं। आप अपनी उपलब्धि पुस्तकालयों व जरूरतमन्दों को उपयोगी पुस्तकें निःशुल्क उपलब्ध करानाही मानते हैं। आपके लेखन का उद्देश्य-समाज तथा देशहित में कुछ करना है।

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