बड़ी दुखद स्थिति है जिस प्रकार की सूचनाएं निकलकर आ रही हैं वह पूरी तरह से दिल को झकझोर देनी वाली हैं। क्या मानव इतना क्रूर हो चुका है…? क्या मानव दूसरे व्यक्ति की मृत्यु को देखकर भी कुछ सीख नहीं ले रहा…? क्या मानव यह नहीं देख रहा कि जो भी संसार से जा रहा है वह अपने साथ किसी भी प्रकार की संपत्ति नहीं ले जा रहा…? क्या मानव यह नहीं देख रहा कि कफन में जेब नहीं है…? बडी चिंताजनक स्थिति है जिसको शब्दों के माध्यम से कह पाना अत्यंत मुश्किल ही नहीं अपितु नामुमकिन है। देश में जिस प्रकार से महामारी ने अपना तांडव दिखाया है वह बहुत ही घातक है। देश में जिस प्रकार से मौतें हुई हैं वह भी किसी से छिपा हुआ नहीं है। इस प्रकार की असमय मौत ने लोगों के घरों को वीरान कर दिया। छोटे-छोटे मासूम बच्चों को अनाथ कर दिया। कुछ बच्चे तो ऐसे भी हैं जिनको मैं व्यक्तिगत रूप से जानता हूँ कि वह अभी इस योग्य भी नहीं हैं कि उनको यह समझ आए कि उनके पिता अब इस संसार में नहीं रहे। उन मासूम बच्चों को यह भी नहीं पता की उनके पिता अब कभी भी लौटकर नहीं आएंगे। उन मासूम बच्चों को यह भी नहीं पता कि उनके पिता का साया उनके सिर से हमेशा-हमेशा के लिए उठ गया। बड़ी दुखद स्थिति है। मासूम बच्चों की मासूमियत देखकर पत्थर दिल इंसान के भी आँखों से आँसू निकल आते हैं। क्योंकि यह एक ऐसा दर्द है जिसकी पीड़ा हर वह व्यक्ति समझ रहा है जिसके सीने के अंदर दिल है। सबसे पीड़ा दायक वह दृश्य है जब छोटा सा मासूम बच्चा अपनी लड़खड़ाती हुई जुबान से यह कहता हुआ दिखाई देता कि मेरे पिता जी बाहर गए हुए हैं वह वहाँ से मेरे लिए बहुत सी चीज़ें लेकर आएंगें। बच्चे की इस उम्मीद भरी हुई आस को सुनकर दिल काँप उठता है। क्योंकि बच्चा इतना छोटा है कि उसे नहीं पता कि हमारे पिता जी अब इस संसार में नहीं रहे। हमारी बहन एवं बेटी समान कन्याएं इस महामारी के कारण इतने बड़े दुख से असमय गुजर रही हैं। अभी तो हँसी खुशी जीवन व्यतीत करने के दिन थे लेकिन इस महामारी ने बहन बेटियों की असमय दुनिया उजाड़ दी। अनाथ बच्चों एवं विधवा बहनों की आँखो के सामने अंधेरा कर दिया। अब उन बेचारी बहन बेटियों के दिल पर क्या गुजर रही है यह कोई पूछने वाला नहीं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं। उनका दर्द बाँटने वाला कोई नहीं। उनको सहारा देने वाला कोई नहीं। क्योंकि जो सहारा देने वाला था वह तो इस संसार से चल बसा। जो हर दुख का साथी था वह तो इस दुनिया को छोड़कर जा चुका। इस पहाड़ जैसे दुख में जीवन जीने के लिए बहन-बेटियाँ मजबूर एवं विवश हैं। क्योंकि उनके पास कोई सहारा एवं विकल्प ही नहीं। गरीबी और भुखमरी के कगार पर पहुँच चुका जीवन बहुत ही घातक है। जरा कल्पना करके देखें कल्पना करते ही यदि हृदय काँप न उठे। पत्थर दिल इंसान भी ऐसी समस्या को देखकर अपने आँसू नहीं रोक सकता। इस घातक महामारी ने अनगिनत घरों को तबाह कर दिया। इस महामारी ने अनगिनत घरों की खुशियों को हमेशा-हमेशा के लिए छीन लिया। जो अनाथ बालक थोड़ा कुछ समझदार हैं वह मुरझाए हुए बेचारे पूरी तरह से हर समय उदास रहते हैं। उनकी मायूसी का कारण यह है कि उनकी आँखों के सामने अब अँधेरा नजर आ रहा है। कोई भी सहारा देने वाला नहीं है। इन नन्हें-नन्हें कंधों पर बहुत बड़ा बोझ आ गया। जिविका का प्रश्न बहुत बड़ा है। संरक्षण का प्रश्न उससे भी अधिक बड़ा है। क्योंकि बेचारा मासूम बालक करे तो क्या करे पिता को खोने के बाद अब कोई भी उसे अपना दिखाई ही नहीं दे रहा। जो उसे आगे आकर सहारा दे सके।
कोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों के घर परिवार की स्थिति और बदतर हो गई। अब तो घर में ही लूट मच गई। अनाथ हुए बच्चे और विधवा हुई बहनों की स्थिति दिन प्रतिदिन और बदतर होती हुई दिखाई दे रही है जोकि बहुत बड़ी चिंता का विषय है। भाई के असमय इस संसार से चले जाने के कारण दूसरा भाई उसकी संपत्ति हड़पने पर पूरी तरह से तत्पर है। कुछ मामलों की सूचना अभी से ही आ रही है। खास करके शहरी क्षेत्रों में क्योंकि शहरी क्षेत्रों में थोड़ी सी भी भूमि की कीमत लाखों में होती है। इसलिए अब पूरी तरह लूट मचती हुई दिखाई दे रही है। जीवित भाई मृत्यु हुए भाई के हिस्से की संपत्ति पूरी तरह हड़पने के लिए सभी प्रकार के हथकंडे अपनाने लगा हुआ है। जबकि भाई को भाई की मृत्यु का दुख होना चाहिए लेकिन इस कलयुग में क्या कहा जाए। कुछ कहने के लिए अब शब्द ही नहीं रहे जिन शब्दों का उपयोग किया जाए।
इस प्रकार का कुकृत्य देखकर हृदय काँप उठता है। क्योंकि जहाँ भाई की बेसहारा हुई विधवा के प्रति आदर एवं सम्मान तथा सहयोग होना चाहिए वहाँ इससे ठीक विपरीत उसके अधिकारों को छीनने के लिए सभी प्रकार के हथकंडों को लगाकर समीकरण अपने पक्ष में अपनी इच्छा अनुसार बिछाए जा रहे हैं। जहाँ अनाथ हुए छोटे-छोटे मासूम बच्चों को सिर पर हाथ रखकर सहारा देने का प्रयास होना चाहिए वहाँ षड़यंत्र बिछाया जा रहा है। इस प्रकार की स्थिति बहुत ही घातक है सरकार को इन सभी समीकरणों पर कड़ाई के साथ कठोर रूप धारण करना चाहिए। क्योंकि बेचारी विधवा एवं अनाथ बच्चे अपना पेट तो भर नहीं सकते वह कोर्ट कचेहरी का चक्कर कैसे लगा पाएंगे। कोर्ट का चक्कर लगा पाना इनकी क्षमता के बाहर की बात है। इसी मजबूरी एवं कमजोरी का फायदा उठाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमें संपत्ति लूट में अंदर खाने दबाव भी बनाया जा रहा है। अनाथ और विधवा बहनों को यह एहसास दिलाया जा रहा कि वह अब क्या कर लेंगी अब वह कुछ भी कर पाने की स्थिति में नहीं। अर्थात वह अपना मुँह न खोलें और जो कुछ भी हो रहा है उसे चुपचाप सहन करती रहें।
इसके पीछे एक बहुत बड़ा तर्क यह दिया जा रहा है कि अगर वह मुँह खोलती हैं तो कहाँ रहेंगी। अर्थात उनको रहने के लिए छत कहाँ मिलेगी इसलिए वह अपना मुँह बिलकुल भी न खोलें और अपने सभी अधिकारों से हाथ धो बैंठे।
अतः सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित कराने प्रयास है। कि सरकार इस ओर समय रहते तत्काल ध्यान दे। अन्यथा जब इस प्रकार के षड़यंत्र समाज में अपना पैर जमा लेगें तो बहुत बड़ा अनर्थ हो जाएगा। विधवा एवं अनाथ के अधिकार एवं संरक्षण के प्रति सरकार को पूरी तरह से कठोर रूप धारण करना चाहिए। साथ ही अनाथ एवं विधवा बहनों के जान-माल की सुरक्षा के लिए सराकार का संरक्षण प्राप्त होना चाहिए। साथ ही सरकार को ठोस नीति अपनानी चाहिए। अन्यथा राक्षस रूपी व्यक्तियों के द्वारा किसी भी प्रकार की घटनाओं को भी अंजाम दिया जा सकता है जिससे कि संपत्ति हड़पने का रास्ता साफ हो सके। इसलिए सरकार को ठोस एवं कठोर कदम उठाने की तत्काल जरूरत है। खास करके इस महामारी में विधवा हुई बहनों के प्रति सरकार को कुछ योजनाओं का संचालन भी करना चाहिए जिससे कि उन सभी बहनों के आँसू पोछे जा सकें। क्योंकि इतनी मंहगाई के दौर में विधवा पेंशन से तो गुजारा हो पाने का सवाल ही नहीं उठता। इसलिए सरकार को इन सभी बिंदुओं पर गहनता पूर्वक विचार करना चाहिए। क्योंकि, इससे बड़ा कोई पुन का कार्य नहीं हो सकता। अनाथ बच्चों एवं विधवा बहनों का सहारा बनना इससे बड़ा कोई पुन हो ही नहीं सकता। क्योंकि उनकी आँखों के सामने बहुत बड़ा अंधेरा है। इन मासूम बच्चों एवं विधवा बहनों की आँखों से बहते हुए आँसू को पोछना हमारा कर्तव्य है। जिसे हमें सबसे पहले आगे बढ़कर करना चाहिए। ऐसा करने से समाज में बहुत बड़ा संदेश जाएगा। जिससे सरकार की छवि को मजबूती मिलना स्वाभाविक है। अगर सरकार कोरोना महामारी में अनाथ हुए बच्चों के साथ-साथ उन बेसहारा बहनों के साथ भी खड़ी होती है साथ ही उन बहनों की भी झोली में कुछ गुजारे के रूप में आर्थिक सहयोग प्रत्येक महीने की दर से निर्धारित कर देती है तो निश्चित ही सरकार की छवि जनता के बीच बहुत प्रबल होगी। जिसका लाभ चुनाव में भी बहुत मजबूती के साथ मिलना तय है।
वरिष्ठ पत्रकार एवं राष्ट्र चिंतक।
(सज्जाद हैदर)