सांता का उपहार 

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renu
 सांता! आज जब तुम आओगे
तो मेरी एक बात मानना
 पल-पल फिसलते हुए रिश्तों को
अपने झोले से खुशियों का पुलिंदा
 मेरे नाम करते हुए
उन्हें थमाते जाना
कल तक जो अपने थे
उनमें भाव खत्म होने लगा है
कल तक जिन बातों में रस था
आज उनमें विष उतरने लगा है
कल तक एक दूजे के सुख-दुख में
ढाल बनकर साथ खड़े थे
आज एक दूजे से
बचके निकल रहे हैं
कल तक जिनको पाकर
सूरज सा खिल रहे थे
आज राख की ढेरी से कजल रहें हैं
 फिर भी कुछ अवशेष है
खंडित होने से इनको रोक लो
बस इसी को पूरे वर्ष की साधना को
सुंदर उपहार दे, मेरे मन को
इंद्रधनुषी रंगों से सराबोर कर
सांता आया खुशियां लाया
पंक्ति को सार्थक कर
क्रिसमस के त्योहार की
खुशी ला दो तुम
सांता अपना उपहार दे दो तुम
सांता अपना उपहार दे दो तुम।
#रेनू शर्मा*शब्द मुखर*
जयपुर

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।