वो लड़की दिवानी जिसे भूल ना पाया,,
वो चाहत पुरानी जिसे भूल ना पाया,,
वो ख्वाबों की रातें, वो मुलाकातो के दिन,,
उसकी यादों में कटते, हर पल उसके बिन,,
उसकी बातें नशीली, मोहक थी हर अद़ा,,
खत ऐसे जिन्हें पढ़कर हो गये थे हम फीदा,,
उसकी चिट्ठी पुरानी जिसे भूल ना पाया,,
वो लड़की दिवानी जिसे भूल ना पाया,,
वो पनघट वो पीपल, वो मिलने का बहाना,,
वो बांहो का घेरा, वो मौसम गजब सुहाना,,
उसके बदन की खुशबू ,भीगी जुल्फों की बूंदे,,
रंग यौवन महसूस किया, हमने आंखों को मुंदें,,
वो होठों की निशानी जिसे भूल ना पाया,,
वो लड़की दीवानी जिसे भूल ना पाया,,
वो चाहत पुरानी जिसे भूल न पाया,,
#सचिन राणा ” हीरो ”
हरिद्वार(उत्तराखंड)
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