लग दई दीमक…

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sourabh parik
लग गई दीमक देखो इंसान की फसल में
बदल गया है आदमी कितना बस आजकल में
दिल पसीजता नहीं, शहादत देखकर भी
जज़्बात कैसे बने है पत्थर, बस आजकल में
सुना था मयस्सर है सुकूँ, दरख़्तों की छाँव में
माँ-बाप हो रहे है बेघर, बस आजकल में
रहमदिली, ख़ुदाई, अपनापन, ये और बातें है
हैवान बन गया है इंसान, बस आजकल में
तेरे बाद न ज़िक्र होगा तेरा यहाँ ‘सरल’
ये किस्सा भी दफ़ा होगा, बस आजकल में
सौरभ ‘सरल मोहन’
#परिचय
सौरभ पारीक
निवासी : जयपुर, राजस्थान।
शिक्षा : स्नातकोत्तर (राजस्थान विश्विद्यालय)
कार्य : हिंदी शिक्षक एवं कवि कर्म द्वारा मातृ स्वरूपा हिंदी की तृणतुल्य सेवा।
स्वयं के विषय में मेरा दृष्टिकोण
*अब और क्या कहूँ कि कैसा हूँ मैं*
*जिसने जैसे देखा, बस वैसा हूँ मैं।*
*सौरभ ‘सरल मोहन’*

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।