0
0
Read Time39 Second
सत्य आचरण धर्म तत्व है ,
प्रेम मानस का सार।
लाख छुपाय छिप न सके,
असत्य की होत हार ।।
घट घट ईश्वर वास है,
खोजत चहुँ दिश नैन।
हरि मिले दीन कुटी में,
भजते गुण दिन रैन।।
राधा नाची बंशी धुन,
गोपी श्याम नचाय।
शबरी के जूठे बेर,
प्रेम बस राम खाय।।
करनी आप सँवारिये,
दोष न पर में डाल।
हम चलें नेक राह पर,
बदल न अपने चाल।
#अविनाश तिवारी
अमोरा जांजगीर-चांपा छत्तीसगढ
Post Views:
561