परिंदों संग हर मस्तियां छोड़ आए
गांव में हम कितनी हस्तियां छोड़ आए
यूं तो इक घर की दहलीज छोड़ी थी हमने
लगता है अब कई बस्तियां छोड़ आए
उलझनों की ये शब अब नहीं बिताई जाती
आम की छांव तले निंदिया छोड़ आए
अब कोई दिल को अच्छा नहीं जंचता है
सर जो वादे की एक बिंदिया छोड़ आए
शहर के कुछ समंदर नहीं पार होते
हौंसले की जो हम कश्तियां छोड़ आए
#माहीमीत
परिचय : माया नगरी मुम्बई में ‘माहीमीत’ नाम से लिखने वाले श्याम दाँगी मध्य प्रदेश के होकर इंदौर में पत्रकारिता में भी हुनर दिखा चुके हैं। फिलहाल भी यह मुम्बई के अनेक पत्रों में सक्रिय लेखन से जुड़े हैं तो पटकथा लेखन में लगातार सक्रिय हैं।इनकी लिखी हुई कहानियाँ ‘सावधान इंडिया’ और ‘क्राइम पेट्रोल’ में आ चुकी हैं। यह थिएटर में भी सक्रिय हैं और हाल ही में मंटो पर एक नाटक किया था, जिसमें मंटो का किरदार इन्होंने ही निभाया था।