कितना बड़ा दिल है
उस झोपड़ी का
सब सह जाती है
जैसी ऊपर वाले की मर्जी कहकर
आज तक हर किसी ने
ऊपर वाले का डर दिखा – दिखाकर ही तो
बहकाया है,
बेवकूफ बनाया है
झोपड़ी को
और झोपड़ी भी सब सह जाती है
अपने शोषण के विरोध में आह! तक नहीं करती
झोपड़ियों को लूट – लूटकर
कितनी महान सभ्यताएं पनपीं
कितने राष्ट्र विकसित हो गए
पर बेचारी झोपड़ी का विकास
आज इस इक्कीसवीं सदी में भी न हो सका
वो आज भी ऊपर वाले के भरोसे है
और ऊपर वाला बड़े-बड़े मठ-मंदिरों के तालों में कैद हो चुका है.
#मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
परिचय : मुकेश कुमार ऋषि वर्मा का जन्म-५ अगस्त १९९३ को हुआ हैl आपकी शिक्षा-एम.ए. हैl आपका निवास उत्तर प्रदेश के गाँव रिहावली (डाक तारौली गुर्जर-फतेहाबाद)में हैl प्रकाशन में `आजादी को खोना ना` और `संघर्ष पथ`(काव्य संग्रह) हैंl लेखन,अभिनय, पत्रकारिता तथा चित्रकारी में आपकी बहुत रूचि हैl आप सदस्य और पदाधिकारी के रूप में मीडिया सहित कई महासंघ और दल तथा साहित्य की स्थानीय अकादमी से भी जुड़े हुए हैं तो मुंबई में फिल्मस एण्ड टेलीविजन संस्थान में साझेदार भी हैंl ऐसे ही ऋषि वैदिक साहित्य पुस्तकालय का संचालन भी करते हैंl आपकी आजीविका का साधन कृषि और अन्य हैl