प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा
कुदरत की सुन्दरता
कूट-कूट कर भरा
ऊँचे नीचे खेत
टेढे मेढे पगडंडियों से भरा
प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा।
चमक विखेर रहा
लाल- लाल पलाश
और हरे भरे जंगल
ऊँचे लिप्टस और
घने काले बादल
पहाडियों से भरा
प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा।
चारो ओर शोभा बढाती
ऊँचे पहाड और झरने
जानवरो की संगीत
तो है इसके गहने
विभिन्न प्रजातियां
यहां है रहते
कठिन परिश्रम
इनके रग-रग में भरा
प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा।
खाते पीते प्यार से रहते
अभिमान को अभिशाप समझते
प्रकृति को अपना गहना समझकर
इनकी ही सेवा करते
महुआ की खेतो में
महुआ की फसलो से
इनका जीवन हरा
प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा।
सर्दी गर्मी या हो बरसात
जीवन की अनमोल सुन्दर वादियाँ विभिन्न रंगो में मिल जाएँगे
हर विघ्न बाधा से दूर
खूद को पाएँगे क्योकि
ईश्वर ने हर मौसम
का रंग यहाँ की घरती में है भरा
प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा।
“आशुतोष”
नाम। – आशुतोष कुमार
साहित्यक उपनाम – आशुतोष
जन्मतिथि – 30/101973
वर्तमान पता – 113/77बी
शास्त्रीनगर
पटना 23 बिहार
कार्यक्षेत्र – जाॅब
शिक्षा – ऑनर्स अर्थशास्त्र
मोबाइलव्हाट्स एप – 9852842667
प्रकाशन – नगण्य
सम्मान। – नगण्य
अन्य उलब्धि – कभ्प्यूटर आपरेटर
टीवी टेक्नीशियन
लेखन का उद्द्श्य – सामाजिक जागृति