हिन्दी हमारी मातृभाषा

0 0
Read Time2 Minute, 55 Second

pushkar bharati
है,प्रित जहाँ की मैं बात वहाँ का
करता हूँ,  हिन्दुस्तान  का रहने
वाला हूँ हिन्दी में बात करता हूँ ।
लोग मुझे जो  कहे  प्रवाह नही
मुझे कुछ और नही,बस हिन्दी
में , बात करना आता है ।

अंग्रेजी,चीनी,रुसी,है बिदेशी
इनकी  बात मैं क्यो करु
हमारी प्रिय भाषा है,हिन्दी
मैं हिन्दी की बात करता हूँ।
हमारी जननी है हिन्दी,
मैं हिन्दी में बात करता हूँ ।
हमारी मातृभाषा है हिन्दी
मैं हिन्दी में बात करता हूँ।

है,प्रित जहाँ की मैं बात वहाँ का
करता हूँ, हिन्दुस्तान का रहने
वाला हूँ,हिन्दी में बात करता हूँ ।
संस्कृत  है, हमारी  संस्कृति
भोजपुरी,गुजराती,मराठी,पंजाबी
बाग्ला,ये सब है,हिन्दी की सखा,
हिन्दी के बिना है सब बेकार ।

विदेशी  आक्रमन  से  जो हुई
छती अब न  दोहराई  जएगी
सभी भाषा की जननी के रुप
में,मातृभाषा के रुप में,फिर से
हिन्दी  याद  की जाएगी ।

है,प्रित जहाँ की मै बात वहाँ का
करता हूँ,  हिन्दुस्तान  का  रहने
वाला हूँ हिन्दी में बात करता हूँ ।
लहराएगा अब  प्रचंड हिन्दी का
देश क्या अब विदेशो मे भी हमारी
गाथा गायी जाएगी ।

है,प्रित जहाँ की मैं बात वहाँ का
करता  हूँ, हिन्दुस्तान  का  रहने
वाला हूँ,हिन्दी में बात करता हूँ ।।

पूर्ण नाम~ पुष्कर कुमार

साहित्यिक उपनाम~ पुष्कर कुमार भारती

जन्म स्थान~ कटही,सुपौल (ननिहाल)

वर्तमान पता~ ग्राम-दियारी,जिला-अररिया

स्थाई पता~ग्राम-दियारी,जिला-अररिया

राज्य/प्रदेश~ बिहार

ग्राम/शहर~ अररिया

पूर्ण शिक्षा~BA(POLITICAL SCIENCE)

कार्यक्षेत्र~ विद्दार्थी/लेखन कार्य
(नौकरी या जो भी)

लेखन विधा~ कविता,सामाजिक लेख
(गीत,ग़ज़ल,लेख जो भी )

भाषा ज्ञान~ हिन्दी

कोई प्रकाशन~ www.sahity.com/ब्लॉग, पर कविता और कहानी का संग्रह
(संग्रह या किताब )  तथा कहानी का संग्रह

रचना प्रकाशन~ साहित्य लाइव पाक्षिव पत्रिका
(पत्र-पत्रिका)

लेखनी का उद्देश्य~ सामाज की कुरीतियो को लेखन के माध्यम से मिटाने का प्रयत्न करना

रुचियाँ ~ लेखन कार्य  और किताब पढना

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

ब्रह्मचारिणी : (माँ का दूसरा रूप )

Thu Oct 11 , 2018
माँ का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी का है ,जिसका शाब्दिक अर्थ है -‘ब्रह्मा का-सा आचरण करने वाली’। ‘ब्रह्मा’ का एक अर्थ तपस्या भी है, इसलिए ब्रह्मचारिणी को ‘तपश्चरिणी’ भी कहा जाता है । प्रतीक के रूप में इनके बाएँ हाथ में कमंडल और दाहिने हाथ में जप की माला दी गई […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।