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दशहरे के अवसर पर देखो, बिखरी पड़ी हैं लाशें।
अमृतसर में कहर है टूटा, टूट गयी सैकड़ो सांसे।।
कैसे नंगे नाच खेले मौत ने, इतने लोग हैं मार गिराए।
रावण, मेघनाथ, कुम्भकर्ण को, जलाने थे जो आये।।
दो ट्रेनें गुजरी वहां से, एकदम पटरी लहूलुहान हुई।
गिनती भी ना हो पाई देखो, कितनी सारी जान गई।।
पलभर में शांत हुए वो, जो पल पहले चहक रहे थे।
मुरझा गए कितने फूल, जो खुशबू से महक रहे थे।।
किसका मानें कसूर इसमें, ना ट्रैन को रोका गया।
यहां ना जलाओ रावण,लोगो को भी ना टोका गया।।
गलती है ये प्रशासन की, या लोगो को कसूरवार माने।
इनकी मौत के दोष का, किस के ऊपर ये तीर ताने।।
जानें कितनी चिताएं जली, “मलिक” छोटी लापरवाही से।
कौन बचाएगा मेरे देश को, इस तरह होती तबाही से।।
#सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१ तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है।
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