लोकतंत्र में उग रहे, नेता खरपतवार।
राज काज से खेंचते,ज्यों फसलों का सार।
ज्यों फसलों का सार ,चाटते दीमक जैसे।
कर समाज में फूट, सेंकते रोटी वैसे।
कहे लाल कविराय, सब भ्रष्ट किया है तंत्र।
चरत रोजड़े खेत, चरे नित ये लोकतंत्र।
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आजादी के दौर से, नेता नहीं महान।
अबके नेता लोपते, रोज रोज ईमान।
रोज रोज ईमान, बेच जमीर ही खाते।
नित ही खाएँ घूँस, उदर इनके न अघाते।
कहे लाल कविराय,करें ये नित बरबादी।
उजले बगुले रहत,बचाते निज आजादी।
नाम– बाबू लाल शर्मा
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः