नव रथी ले चल रहा ,रथ हांक धीरे धीरे ।

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anup sinh
जब चला था कर शुभारम्भ
तब नहीं था ज्ञात उसको
कि मिलेगी राह उसको
या दबेगी चाह उसकी
पर बनाये हाथ से अपने
सुसज्जित और सुंदर
रथ पे उसको गर्व था
विश्वास भी कि यह चलेगा
औ बढेगा पर नहीं कुछ
विपद् पा कर के रुकेगा
औ बढाया रथ को अपने
जिन्दगी की राह पर
उस राह पर जिसपे
नहीं सपनो का अर्थ होता
प्रतिभा जहां दम तोड़ती
साहस जहां सब व्यर्थ होता
यह सभी कुछ सोचकर भी
हाथ में लगाम ले ली
औ मचानें लगा चिर निद्र में
सोये हुये युग काल में
हलचल धीरे धीरे ।
नव रथी ले चल रहा ,रथ हांक धीरे धीरे ।
है कहीं गिरि उच्च कोई
तरु लदे ऊंघे हुए से
खांइया कुछ खंदके गहरी
सजी बिखरी पड़ी पलकें
बिछाये ये बताने कि अभी भी
सोच लो यह राह कितनी
है बची लायक तुम्हारें
पर बढ़ा वह सोचकर यह
जग तो कहता ही रहेगा
आकलन को सोचने को
पर कहां जग देख सकता
कौन सा पथ कौन सा रथ
कब , कहां, किसके लिए
ही ठीक होता
विश्व केवल एक ऐसी
दृढ सजित संभावना का
क्षेत्र है जो कि जिसमें जब
चाहे ढूढ ले असंख्य राहें
औ चले फिर और पहुंचे
उस ऊंचाई पर कि जिस पर
आज तक अब तक नहीं
कोई कभी भी चढ सका हो
सोचकर इतना ही चलता रहा
राही निज बुद्धि मे बह रही
सरिता के तीरे तीरे ।
नव रथी ले चल रहा , रथ हांक धीरे धीरे ।

#अनूप सिंह 

परिचय : अनूप सिंह की जन्मतिथि-१८ अगस्त १९९५ हैl आप वर्तमान में दिल्ली स्थित मिहिरावली में बसे हुए हैंl कला विषय लेकर स्नातक में तृतीय वर्ष में अध्ययनरत श्री सिंह को लिखने का काफी शौक हैl आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य-राष्ट्रीय चेतना बढ़ाना हैl

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।